एयर स्ट्राइक के 32 दिन बाद पाकिस्तान के जर्नलिस्ट्स पहुंचे बालाकोट, लेकिन सिर्फ कुछ जगहों पर जाने की मिली इजाजत
नई दिल्ली। बालाकोट एयर स्ट्राइक के पूरे एक माह बाद पाकिस्तान की सेना जर्नलिस्ट्स को साइट पर लेकर गई। 26 फरवरी को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आने वाले बालाकोट में इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) की ओर से हवाई हमले किए गए थे। इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के अड्डों को निशाना बनाया गया था। भारत सरकार से जुड़े इंटेलीजेंस सूत्रों की ओर से बताया गया है कि 28 मार्च को पाकिस्तान की सेना आठ जर्नलिस्ट्स को बालाकोट में हमले वाली जगह पर लेकर गई थी।
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300 बच्चे मदरसे में मौजूद
इंटेलीजेंस सूत्रों की मानें तो 300 बच्चे जैश के मदरसे में मौजूद थे। पाक आर्मी पूरे समय जर्नलिस्ट्स के साथ थी। जर्नलिस्ट्स ने इन बच्चों से मुलाकात की और वीडियो भी बनाया। इस इलाके को आज भी पाकिस्तान के फ्रंटियर कोर की ओर से सुरक्षित किया जा रहा है। फ्रंटियर कोर, पाकिस्तान की पैरामिलिट्री फोर्स है। सूत्रों के मुताबिक जर्नलिस्ट्स को आसपास की कुछ जगहों पर ले जाया गया था। सूत्रों के मुताबिक सुबह 10 बजे जर्नलिस्ट्स को हेलीकॉप्टर के जरिए बालाकोट ले जाया गया और शाम 3:30 बजे तक जर्नलिस्ट्स वहीं पर थे। पूरे इलाके की पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर ने घेराबंदी की हुई है।
पैरामिलिट्री फोर्सेज ने की घेराबंदी
पूरे इलाके की पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर ने घेराबंदी की हुई है। हालांकि वीडियो और इंटरव्यू में क्या था, इस बात की जानकारी नहीं मिल सकी है। सूत्रों की ओर से कहा गया है कि एयरस्ट्राइक वाली जगह करीब छह एकड़ में फैली हुई है लेकिन जर्नलिस्ट्स को सिर्फ कुछ ही जगह तक जाने की मंजूरी थी। बाकी एरिया को ब्लॉक कर दिया गया था। इस बात की भी कोई जानकारी नहीं है कि जो बच्चे मदरसे में थे, वे स्थानीय नागरिक थे या फिर पाकिस्तान की अथॉरिटीज की ओर से वहां पर लाए गए थे।
भारत ने उठाए सवाल
भारत ने जर्नलिस्ट्स को बालाकोट ले जाने के समय पर सवाल उठाया है। भारत सरकार की मानें तो पाकिस्तान फिर से प्रपोगेंडा फैलाने की कोशिश कर रहर है। वह दुनिया को बताना चाहता है कि उसकी सरजमीं पर जैश-ए-मोहम्मद नाम का कोई संगठन ही नहीं है।
पाकिस्तान का सफेद झूठ
पाकिस्तान के जर्नलिस्ट्स को ऐसे समय में बालाकोट लेकर गया है जब उसकी ओर से यह कहा गया है कि भारत ने जिन 22 जगहों के बारे में बताया था उन जगहों पर कोई ट्रेनिंग कैंप्स नहीं मिले। इसके अलावा पुलवामा हमले के बाद जो डॉजियर उसे दिया था उसके आधार पर 54 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है। लेकिन किसी का भी इस हमले से कोई संबंध है, यह बात साबित नहीं हो सकी है। इसके अलावा पाकिस्तान टेरर कैंप्स की बात से भी मुकर गया है।