इमरान खान ने खुलेआम स्वीकार किया, 'पाकिस्तानी जमीन पर तैयार किए जाते हैं आतंकी'
बेंगलुरू। जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर पूरी तरह से बेहाल पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अब अमेरिका को आड़ों हाथ लिया है। इमरान खान ने अमेरिका को सरेआम नंगा करते हुए बताया कि सोवियत रूस के खिलाफ शीत युद्ध के दौरान अमेरिका की मदद के लिए उसकी जमीन पर जेहादी आतंकी तैयार किए गए।
आतंकवाद पर इस बड़े कबूलनामे में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बताया कि वर्ष 1980 में अफगानिस्तान में रूस (तत्कालीन सोवियत संघ) के खिलाफ लड़ने के लिए पाकिस्तान ने जेहादियों को तैयार किया और उन्हें आतंकियों को बाकायद ट्रेनिंग दी थी। पाक पीएम रूस के अंग्रेजी न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि शीत युद्ध के उस दौर में रूस के खिलाफ पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद की, लेकिन अब अमेरिका, पास्तान पर आतंक का आरोप लगा रहा है।
गौरतलब है 1980 के दशक में पाकिस्तान ऐसे मुजाहिद्दीन लोगों को प्रशिक्षण दे रहा था कि जब सोवियत यूनियन, अफगानिस्तान पर कब्जा करेगा तो वो उनके खिलाफ जेहाद का ऐलान करें। इन लोगों की ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान को पैसा अमेरिका की एजेंसी CIA द्वारा दिया गया, लेकिन एक दशक बाद जब अमेरिका, अफगानिस्तान में आया तो उसने उन्हीं समूहों को जो पाकिस्तान में थे, जेहादी से आतंकवादी होने का नाम दे दिया।
इमरान खान के इस रवैये के बाद अमेरिका अब क्या बयान देता है यह देखने वाली बात होगी। दरअसल, पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर पूरी तरह से अकेला पड़ गया है और उसके पास अब खोने के लिए कुछ नहीं है इसलिए वह अब अमेरिका की पोल खोलने में लग गया है।
दिलचस्प बात इसमे यह है कि आतंकियों को प्रशिक्षण देने की बात एक तरफ जहां इमरान खान सच्चाई को स्वीकार कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ पाकिस्तान कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन की अपेक्षा कर रहा है। संभवतया इसी कारण उनके ही गृह मंत्री एजाज अहमद शाह ने एक इंटरव्यू में कह दिया कि कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की बात को गंभीरता से नहीं लिया जाता और पाकिस्तान को जिम्मेदार देश नहीं माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाकिस्तान की बात भी शायद इसीलिए सुनी गई, क्योंकि पाकिस्तान का आका अलकायदा प्रमुख पाकिस्तान के एटवाबाद से ही बरामद किया गया था।
एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल Hum News के एक टॉक शो में गृह मंत्री एजाज अहमद शाह ने इमरान खान पर सवाल उठाते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर यकीन नहीं कर रहा है जबकि भारत ने जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया है और लोगों को दवाएं तक नहीं मिल रही हैं।
बकौल एजाज अहमद शाह, लोगों ने पाकिस्तान पर यकीन नहीं किया, लेकिन भारत की बातों पर आंख मूंदकर भरोसा किया। पाकिस्तान को पाकिस्तान को सुनने वाला कोई नहीं है। यहां तक मुस्लिम देश में भारत से जुड़े होने के चलते पाकिस्तान का साथ नहीं दे पा रहे हैं।
दरअसल, राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हुए भी पाकिस्तान की मदद नहीं कर पा रहे हैं। ट्रंप अफगानिस्तान से सैनिकों की स्वदेश वापसी के लिए पाकिस्तान के दवाब में लगातार कश्मीर पर मध्यस्थता का राग अलाप रहे हैं, जिसने कभी सोवियत रूस के खिलाफ जेहादी ग्रुप तैयार करने के लिए पाकिस्तान की मदद ली थी, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय रूप से आतंकियों के प्रश्रय देने वाले राष्ट्र के रूप में कुख्यात पाकिस्तान को सार्वजनिक रूप से अपनी छवि की चिंता कर रहा है।अमेरिकी जानता है कि पाकिस्तान की मदद के बिना वह अमेरिकी सैनिकों को अफगानिस्तान से नहीं निकाल पाएगा। इसलिए पाकिस्तान को खुश करने के लिए अमेरिका दोनों देशों द्विपक्षीय मसले पर मध्यस्थता का बयान दे रहा है।
लेकिन पाकिस्तान समझ चुका है कि अमेरिका कश्मीर मुद्दे पर उसकी मदद नहीं करेगा। यही कारण है कि अमेरिका पर अतिरिक्त दवाब बनाने के लिए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अमेरिका के खिलाफ उक्त बयान को जारी किया है। क्योंकि पूरी दुनिया में लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले अमेरिका को पाकिस्तान का उक्त बयान जरा भी रास नहीं आने वाला है और राष्ट्रपति ट्रंप को अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को बाहर निकालने के लिए पाकिस्तान की मदद चाहिए होगी। तो संभव है कि अमेरिकी राष्ट्रपित ट्रंप पाकिस्तान को चुप कराने के लिए कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है अथवा दवाब में आकर पाकिस्तान को पंसद आने वाले कोई बयान जारी कर सकता है।
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