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कश्मीर में अल्पसंख्यकों के लिए घड़ियाली आंसू बहाने वाले पाकिस्तान की खुल गई पोल

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बेंगलुरू। कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन की बात करने वाले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को अभी कुछ दिनों पहले ही यूरोपीय यूनियन की संसद में आईना दिखाया गया था, लेकिन शर्म है कि पाकिस्तान को आती नहीं है। पूरी दुनिया में भारत की छवि खराब करने की नाकाम कोशिश में लगे पाकिस्तानी पीएम इमरान खान के खाने और दिखाने के दांत अलग हैं, जिससे पाकिस्तान में अल्पसंख्यक ईसाई, सिख और हिंदुओं के साथ होने वाले बर्ताव से आसानी से समझा जा सकता है।

Minorities

अभी हाल में पाकिस्तान का एक और नापाक चेहरा तब सामने आया जब पाकिस्तानी संसद द्वारा गैर मुस्लिम के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने के प्रावधान वाले विधेयक को रद्द कर दिया गया। पाकिस्तानी संसद में ईसाई सदस्य के संविधान संशोधन बिल के रद्द होने से अब किसी गैर-मुस्लिम पाकिस्तान का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नहीं बन पाएगा।

गौरतलब है हाल ही में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत पर हमला करते हुए कहा था कि नई दिल्ली (भारत सरकार) मुसलमानों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित कर रही है और यह मुस्लिम बहुल कश्मीर घाटी की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास कर रही है, लेकिन इमरान खान हमवतन पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हितों के लिए क्या कर रहे हैं इसकी बानगी वहां के अल्पसंख्यकों की जनसंख्या, उनके जीवन स्तर और मानवाधिकार हितों को देखकर आसानी से समझा जा सकता है। पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों की हालत क्या है यह किसी छिपा नहीं है।

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दरसअल, अल्पसंख्यक सदस्य डॉ नावेद आमिर जीवा ने संविधान के अनुच्छेद 41 और 91 में संशोधन करके गैर-मुस्लिमों को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति बनने की अनुमति देने की मांग की थी। संसदीय मामलों के राज्य मंत्री अली मुहम्मद ने प्रस्तावित कानून का विरोध करते हुए कहा कि पाकिस्तान एक इस्लामी गणराज्य है जहां केवल एक मुस्लिम को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के स्लॉट में उतारा जा सकता है। गत बुधवार को पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के विचार-विमर्श से यह बात साफ हो गई कि पाकिस्तान के अल्पसंख्यक कभी भी देश के सर्वोच्च पद की आकांक्षा नहीं कर सकते।

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उल्लेखनीय है भारत में तीन मुस्लिम राष्ट्रपति जाकिर हुसैन, फखरुद्दीन अली अहमद और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रहे हैं। मोहम्मद हिदायतुल्ला एक समय के लिए कार्यवाहक राष्ट्रपति थे। हिदायतुल्ला ने न केवल भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया, बल्कि वे भारत के 11 वें मुख्य न्यायाधीश भी थे। मोहम्मद हामिद अंसारी ने 10 साल तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। अब किस मुंह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भारतीय अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार की बात कर सकते हैं यह हास्सास्पद लगता है, जो खुद लगातार पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का हनन करता आ रहा है।

आंकड़ों की मानें तो वर्ष 1941 की जनगणना के अनुसार पाकिस्तान वाले भूभाग पर बंटवारे से पहले 5.9 करोड़ गैर मुस्लिम रहते थे, लेकिन बंटवारे के दौरान बड़े पैमाने पर हिंदुओं और सिखों का पलायन भारत की ओर हुआ। हिंदुओं की आबादी तब पाकिस्तान में 24 फीसदी के आसपास थी, लेकिन भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद वहां के हालत एकदम बदल चुके है।

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वर्ष 1951 में हुए जनगणना के मुताबिक पश्चिमी पाकिस्तान में 1.6% हिंदू जनसंख्या थी, जबकि पूर्वी पाकिस्तान (आधुनिक बांग्लादेश) में 22.05% थी। 47 वर्षों के पश्चात् 1997 में पाकिस्तान की हिन्दू जनसंख्या में वृद्धि नहीं हुई, जहां अभी भी हिंदू अल्पसंख्यकों की जनसंख्या महज 1.6% थे। इस दौरान बांग्लादेश में भी हिन्दू-जनसंख्या भारी गिरावट दर्ज की गई और वहां केवल 10.2% हिन्दू ही बचे।

वर्ष 1998 की पाकिस्तान जनगणना के मुताबिक पाकिस्तान में अब महज 2.5 लाख हिन्दू जनसंख्या बची है और अधिकतर हिंदू अल्पसंख्यक पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहते हैं। पाकिस्तान में दशकों से अल्पसंख्यक हिन्दू और ईसाई आदि उत्पीड़न सह रहे हैं। एक ओर जहां भारत में अल्पसंख्यकों को आरक्षण के अलावा भी कई रियायतें दी जाती हैं।

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वहीं, पाकिस्तान में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर कोई ध्यान नहीं जाता। यहां आए दिन हिंदुओं पर अत्याचार किए जाते हैं, उनके घरों को हड़पा जाता है। हिंदुओं के उनके धार्मिक स्थलों की बात करें तो वह भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां कई हिंदू धार्मिक स्थलों पर हमले किए जाते हैं और जब शिकायतें दायर की जाती हैं, तो उनकी कोई सुनवाई नहीं होती।

मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि बीते 50 सालों में पाकिस्तान में बसे 90 फीसदी हिंदू देश छोड़ चुके हैं। धीरे-धीरे उनके पूजा स्थल और मंदिर भी नष्ट किए जा रहे हैं। हिंदुओं की संपत्ति पर जबरन कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं। एक महिला प्रोफेसर ने वीडियो संदेश के जरिए आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदू बदइंतजामी, कुप्रबंधन और अराजकता का सामना कर रहे हैं। उन्होंने अपने वीडियो संदेश में कहा है कि भू-माफियाओं ने सिंध के विभिन्न इलाकों में अपनी जड़ें मजबूत कर ली हैं और लाड़काना में हिंदुओं को उनकी संपत्ति से जबरन बेदखल कर रहे हैं।

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वर्ष 2010 में पाकिस्तान में मानवाधिकार आयोग के एक अधिकारी ने कहा था कि हर महीने तकरीबन 20 से 25 हिंदू लड़कियों का अपहरण करने के बाद जबरिया धर्म बदलकर उनकी शादी कराई जाती है. जन स्वास्थय और लिंग आधारित हिंसा पर शेफील्ड हलम यूनिवर्सिटी में रिसर्च करने वाली सादिक भंभ्रो ने पाया कि 2012 से 2017 तक 286 लड़कियों का जबरदस्ती धर्म बदला गया।

मालूम हो, यह वो संख्या है, जो पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबारों की रिपोर्ट्स के आधार पर काउंट की गई है, असली तादाद और बड़ी भी हो सकती है, क्योंकि साउथ एशिया पार्टनरशिप का कहना है कि पाकिस्तान में हर साल कम से कम 1000 लड़कियों का जबरन धर्म बदला जाता है।

यह भी पढ़ें- शी जिनपिंग के सामने गिड़गिड़ा रहे हैं इमरान खान, चीन से इतना क्यों डर गया पाकिस्तान ?

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English summary
Pakistan prime minister Imran khan again and again exposed for their lie, Once again they exposed when the pakistan parliament cancel the bill which is in the favor of minorities of pakistan.
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