गांववालों के खिलाफ जाकर महिलाओं के लिए सस्ते पैड्स बना रही ये पैडवुमेन
पीरियड्स और सैनेटरी नैपकिन पर जल्द ही फिल्म 'पैडमैन' आ रही है। इस फिल्म की कहानी अरुणाचलम मुरुगनाथम पर आधारित है, जिन्होंने महिलाओं के लिए सस्ते पैड बनाए लेकिन अब कुछ महिलाएं भी ऐसा कर सामाजिक परंपराओं को चुनौतियां दे रही हैं।
भोपाल। पीरियड्स और सैनेटरी नैपकिन पर जल्द ही फिल्म 'पैडमैन' आ रही है। इस फिल्म की कहानी अरुणाचलम मुरुगनाथम पर आधारित है, जिन्होंने महिलाओं के लिए सस्ते पैड बनाए लेकिन अब कुछ महिलाएं भी ऐसा कर सामाजिक परंपराओं को चुनौतियां दे रही हैं। मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले में करीब 10 महिलाएं पैड बना रही हैं। सामाजिक रूप से पिछड़े इस जिले की इन 'पैडवुमेन' ने जिले को बीमारियों से मुक्त करने की जिम्मेदारी उठाई है।
मध्य प्रदेश के झाबुआ जिले के आंबा खोदरा गांव में 10 महिलाएं पैड बना रही हैं। एक सामाजिक रूप से पिछड़े इलाके में ऐसा कर इन महिलाओं ने काफी हिम्मत वाला काम किया है। 'पैडवुमेन' ग्रुप की मुखिया हेमलता ने बताया कि शुरुआत में गांववालों ने न केवल उन्हें रोका था, बल्कि उन्हें धमकी भी दी थी। उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के कारण ऐसा संभव हो पाया। उन्हीं के कारण हमने अपना काम करना चालू रखा।'
हेमलता ने बताया कि पैड बनाने की प्रक्रिया महिलाओं ने खुद के लिए शुरू की थी लेकिन अब वो इन पैड्स को बेच भी रही हैं। इन पैड्स से महिलाओं को 900-1000 रुपये की आमदनी हो जाती है। इसके साथ ही महिलाओं ने पीरियड्स के बारे में दूसरी महिलाओं को जागरुक करने का भी जिम्मा उठाया है। पीरियड्स में कपड़ा इस्तेमाल करना खतरनाक होता है। इसके बारे में महिलाओं ने अब आवाज उठाई है।
एनआरएलएम के एक अधिकारी विशाल राय ने एएनआई को बताया, 'इन महिलाओं के लिए शुरुआती डगर आसान नहीं थी। काफी कम लोग इन्हें सपोर्ट करते थे लेकिन इन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी।' पैडवुमेन ग्रुप की सारिका ने बताया कि अब महिलाएं अपनी बेटी-बहुओं के लिए भी पैड खरीद रही हैं। पीरियड्स के मुद्दे पर बॉलीवुड अभिनेता अक्षय़ कुमार भी 'पैडमैन' नाम से फिल्म लेकर आ रहे हैं।
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