MSME को लेकर चिदंबरम ने गडकरी और निर्मला पर कसा तंज, पूछा-ऋणदाता कौन और उधारकर्ता कौन ?
नई दिल्ली। कांग्रेस ने शुक्रवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा एमएसएमई (लघु, कुटीर और मध्यम उपक्रमों) क्षेत्र को लेकर दिए गए अलग-अलग बयानों को लेकर हमला बोला है। कांग्रेस के वरिष्ट नेता और पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि, एमएसएमई की बिगड़ी सेहत को सुधारने के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा करने वाली केंद्र सरकार को पहले अपने दो कैबिनेट मंत्रियों के विवाद को सुलझाना चाहिए।
पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने शुक्रवार को ट्वीट कर लिखा कि, केंद्रीय मंत्री गडकरी का कहना है कि सरकारों और सार्वजनिक उपक्रमों के ऊपर एमएसएमई का 5 लाख करोड़ रुपये बकाया है। मंत्री सीतारमण का कहना है कि वह एमएसएमई (45 लाख की संख्या) को 3 लाख करोड़ रुपये का बिना जमानत ऋण देगी। तो, ऋणदाता कौन है और उधारकर्ता कौन है? आगे पी. चिदंबरम ने कहा, 'क्या दोनों मंत्री पहले अपने खातों का निपटारा करेंगे और एमएसएमई सेक्टर को सरकार की मदद के बिना खुद को बचाने देंगे?'
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गौरतलब है कि नितिन गडकरी ने गुरुवार को सीएनबीसी टीवी18 से एक इंटरव्यू में कहा था कि, मएसएमई का पाँच लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा का बकाया है। यानी इन रुपयों को केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, केंद्र व राज्य की सरकारी कंपनियों और निजी क्षेत्र द्वारा एमएसएमई को दिया जाना था लेकिन उन्हें नहीं दिया गया। जबकि, सीतारमण ने एमएसएमई के लिए 3 लाख करोड़ रुपये तक के ऋण पैकेज की घोषणा की है।
बता दें कि एमएसएमई देश के कुल विनिर्माण का क़रीब 45 प्रतिशत उत्पादन करता है, निर्यात में उसकी भागीदारी 40 प्रतिशत है और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में क़रीब 30 योगदान देता है। एमएसएमई की 6.5 करोड़ इकाइयों से 12 करोड़ लोग रोजगार पाते हैं। खेती के बाद अर्थव्यवस्था का यही सेक्टर देश के सबसे अधिक लोगों का पेट भरता है। इसी सेक्टर की स्थिति खराब होने के बाद सबसे अधिक बेरोजगारी पैदा हुई है।
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