एसबीआई का इस समय कर्मचारियों को वीआरएस देना क्रूरता है: चिदंबरम
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति (वीआरएस) देने के फैसले को लेकर केंद्र सरकार को घेरा है। पी चिदंबरम ने इसको लेकर ट्वीट करते हुए लिखा है कि ऐसे समय में जब नौकरियां जा रही हैं और अर्थव्यवस्था बदहाल है तो वीआरएस का ये फैसला क्रूरता है। कांग्रेस नेता ने ये भी कहा है कि अगर देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक की ये हालत है तो अंदाजा लगा लीजिए कि देश में छोटे उद्योगों में किस तरह की स्थिति है और रोजगार की क्या स्थिति है।
चिदंबरम ने किए ट्वीट
पी चिदंबरम ने सोमवार को ट्वीट कर लिखा, कई समाचार रिपोर्टों में कहा गया है कि एसबीआई 'आर्थिक उपाय' के रूप में वीआरएस योजना को लागू करने की योजना बना रही है। सामान्य समय में भी योजना विवादास्पद होगी। इस विषम परिस्थिति में, जब अर्थव्यवस्था ढह गई है और नौकरियां कम हैं, यह क्रूर है। यदि भारत के सबसे बड़े ऋणदाता को नौकरी छोड़नी है, तो कल्पना करें कि अन्य बड़े नियोक्ता और एमएसएमई क्या कर रहे हैं।
कर्मचारियों पर रहेगा दबाव
चिदंबरम ने कहा है कि वीआरएस योजना अस्थिर रूप से स्वैच्छिक है, लेकिन हम जानते हैं कि उन कर्मचारियों पर सूक्ष्म दबाव बनाया जाएगा जो बैंक छुटकारा पाना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने पूछा है कि अगर वर्तमान नियम, वास्तविक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए मदद करते हैं, तो एक नई योजना की घोषणा और 30,190 जैसी सटीक संख्या क्यों दें?
30190 कर्मचारियों को वीआरएस की तैयारी
देश के से बड़े बैंक एसबीआई ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) की योजना तैयार की है जिसके दायरे में 30190 कर्मचारी आ सकते हैं। बैंक का कहना है कि लागत में कटौती के लिए यह पहल की जा रही है। इससे दो हजार करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। एसबीआई के कुल कर्मचारियों की संख्या 31 मार्च 2020 तक 2.49 लाख थी, जबकि मार्च 2019 तक यह संख्या 2.57 लाख थी। जानकारी के मुताबिक, वीआरएस के लिए एक ड्राफ्ट तैयार हो चुका है और बोर्ड की मंजूरी का इंतजार है। इस प्रस्तावित वीआरएस का नाम सेकेंड इनिंग टैप वीआरएस 2020 है।