राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बोले चिदंबरम- CAA पर सरकार के सख्त रुख के चलते तेज होंगे विरोध प्रदर्शन
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को बजट सत्र से पहले संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया। अभिभाषण के बाद कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सरकार पर जबरदस्त हमला बोला है। चिदंबरम ने शुक्रवार को दावा किया कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में आर्थिक मंदी से निपटने को लेकर कुछ नहीं कहा गया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर अपना रुख फिर दोहराया है जिससे विरोध प्रदर्शन और तेज होंगे।
कांग्रेस नेता चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, राष्ट्रपति का अभिभाषण नए साल में सरकार का नीतिगत बयान होता है। मैं यह देखना चाहता था कि यह सरकार गंभीर आर्थिक मंदी से निपटने के लिए क्या इरादा रखती है? लेकिन मुझे इसमें कुछ नहीं मिला। चिदंबरम ने कहा, वृहद आर्थिक परिस्थिति, नौकरियां जाने, बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई, उद्योग बंद होने पर कुछ ना कहना दुखद है। इसके अलावा चिदंबरम ने कहा कि सरकार दिशाहीन है, राष्ट्रपति ने अभिभाषण में घटते निवेश, रुकी हुई परियोजनाओं की बढ़ती संख्या पर कुछ भी नहीं कहा।
पी चिदंबरम ने नागरिकता कानून पर कहा कि, इसी तरह, भारत के हर राज्य में छात्रों, युवाओं और महिलाओं द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के बावजूद सरकार ने सीएए पर अपनी सख्त स्थिति को दोहराया है। लोकतांत्रिक प्रतिरोध को सरकार द्वारा खारिज करने से विरोध प्रदर्शन तेज होंगे। उन्होंने कहा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर नीति को सरकार ने जिस तरह बयां किया, उससे साफ है कि उसने पिछले छह महीनों में कुछ नहीं सीखा और वह कश्मीर घाटी में 75 लाख लोगों के साथ अन्याय और अपमान बढ़ाने को प्रतिबद्ध है।
Likewise, the government has obstinately reiterated its hard line position on CAA unmindful of the protests by students, youth and women in every state of India. The government's rejection of the democratic resistance will only intensify the protests.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) January 31, 2020
बता दें कि बजट सत्र से पहले संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नागरिकता कानून को मोदी सरकार की बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा, "इस तरह से महात्मा गांधी के सपनों को पूरा किया गया है। भारत ने हमेशा सर्वपंथ विचारधारा में यकीन किया है, लेकिन भारत विभाजन के समय भारतवासियों और उनके विश्वास पर प्रहार किया गया। विभाजन के बाद बने माहौल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने कहा था कि पाकिस्तान के हिंदू और सिख, जो वहां नहीं रहना चाहते, वो भारत आ सकते हैं।
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