सीतारमण के एक्ट ऑफ गॉड पर चिदंबरम का वार- क्या मैसेंजर ऑफ गॉड बनकर जवाब देंगी वित्तमंत्री?
सीतारमण के एक्ट ऑफ गॉड पर चिदंबरम का वार- क्या मैसेंजर ऑफ गॉड बनकर जवाब देंगी वित्तमंत्री?
नई दिल्ली। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के अर्थव्यवस्था कमजोर होने के पीछे एक्ट ऑफ गॉड यानी ईश्वर की देन कोरोना वायरस को बताने पर कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने हैरानी जताई है। पूर्व वित्तमंत्री चिदंबरम ने शनिवार को सिलसिलेवार ट्वीट कर सीतारमण से पूछा है कि क्या अब वो मैसेंजर ऑफ गॉड बनकर जवाब देंगी। उन्होंने सीतारमण से कहा है कि कोरोना से पहले तीन सालों से जिस तरह से आर्थिक हालात बिगड़े हुए थे, उसको लेकर वो क्या जवाब देंगी।
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कोरोना से पहले की हालत पर क्या कहेंगी
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कई सवाल निर्मला सीतारमण से किए हैं। उन्होंने कहा है, कोरोना महामारी तो दैवीय घटना है इसलिए अर्थव्यवस्था खराब हो गई तो फिर हम 2017-18, 2018-19 और 2019-20 के दौरान अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन पर क्या कहेंगे, इसका क्या जवाब होगा? क्या वित्तमंत्री सीतारमण मैसेंजर ऑफ गॉड के तौर पर जवाब देंगी।
जीएसटी पर राज्यों को दोनों विकल्प नहीं किया जा सकते स्वीकार
पी चिदंबरम ने केंद्र की ओर से राज्यों को उनका जीएसटी मुआवजा देने में आनाकानी को लेकर कहा कि इस पर मोदी सरकार की ओर से दिए गए दो विकल्प स्वीकार किए जाने योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने जीएसटी मुआवजा अंतर को कम करने के लिए राज्यों को पहले विकल्प में मुआवजा उपकर के तहत अपने भविष्य की प्राप्तियों को गिरवी रखकर उधार लेने के लिए कहा है, इससे तो उनका वित्तीय बोझ बहुत बढ़ जाएगा। दूसरे विकल्प में राज्यों को आरबीआई विंडो से उधार लेने के लिए कहा है, ये नाम बदलकर उधार देने जैसा है, इससे भी फिर से सारा वित्तीय बोझ राज्यों पर पड़ रहा है। केंद्र सरकार किसी भी वित्तीय जिम्मेदारी से खुद को दूर कर रही है। ये ना सिर्फ केंद्र का राज्यों से विश्वासघात है बल्कि कानून का उल्लंघन भी है।
क्या कहा है वित्तमंत्री ने
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते गुरुवार को कहा है कि अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी से प्रभावित हुई है, जो कि एक दैवीय घटना है। उन्होंने कहा, कोरोना वायरस महामारी ने जीएसटी कलेक्शन पर काफी बुरा असर डाला है। कहा कि देश की अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस के रूप में सामने आए असाधारण 'एक्ट ऑफ गॉड' का सामना कर रही है, जिसकी वजह से इस साल अर्थव्यवस्था के विकास की दर सिकुड़ सकती है।
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