कोरोना वैक्सीन पर Oxford का सबसे भरोसेमंद ट्रायल रहा बहुत अच्छा, चमत्कार की उम्मीद
नई दिल्ली- दुनिया भर में कोरोना वायरस की वैक्सीन पर जो काम चल रहा है, उसमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में हो रही ट्रायल पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। अभी तक इस यूनिवर्सिटी ने जो 1,000 टीके लगाए हैं, उनके आधार पर इसने अपने ट्रायल को बहुत ही अच्छा माना है। अगले फेज में ट्रायल के लिए बच्चों से लेकर व्यस्कों तक अलग-अलग उम्र के 10,260 लोगों ने अपना नामांकन कराया है। इस फेज में वैक्सीन के बारे में ये जांच होगी कि अलग-अलग इम्यून सिस्टम वाले लोगों के साथ यह कैसा रिजल्ट दिखाता है।
ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के प्रमुख एंड्रयू पोलार्ड ने कहा कहा है, 'क्लीनिकल अध्ययन बहुत अच्छे से हो रहा है और अब हम लोग इसका मूल्यांकन शुरू करने जा रहे हैं कि बड़े व्यस्कों में इस वैक्सीन को इम्यून से कैसी प्रतिक्रिया मिलती है और इस बात की जांच होनी है कि क्या यह आबादी के ज्यादातर भाग को सुरक्षा दे सकती है।' उनका कहना है कि, 'हम टेस्ट में मदद के लिए ट्रायल के लिए सामने आने वाले वॉलेंटियर्स के बहुत ज्यादा समर्थन के शुक्रगुजार हैं, और देख रहे हैं कि क्या यह नई वैक्सीन कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी से इंसान को सुरक्षित कर सकती है।' वैज्ञानिकों को सितंबर महीने तक इस वैक्सीन से किसी चमत्कार की उम्मीद है, क्योंकि तब तक इसके शुरुआती पुख्ता नतीजे मिलने की संभावना है।
तीसरे चरण में इस बात की स्टडी होनी है कि यह वैक्सीन 18 साल से ज्यादा उम्र के ज्यादातर लोगों को कोविड-19 के संक्रमण से कितनी अच्छे तरीके से बचाव कर पाती है। उधर जेन्नर इंस्टीट्यूट में वैक्सीनोलॉजी के प्रोफेसर सराह गिलबर्ट ने कहा है, 'हमनें 55 साल से ज्यादा के लोगों में इसको लेकर पहले से ही बहुत ज्यादा दिलचस्पी देखी है, लेकिन वे पहले फेज की स्टडी के लिए योग्य नहीं थे, और अब हम ज्यादा एज ग्रुप के लोगों को भी वैक्सीन के आंकलन के लिए शामिल कर सकेंगे।' सबसे बड़ी बात ये है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने बड़े पैमाने पर वैक्सीन के उत्पादन के लि पहले से ही बड़ी दवा कंपनी एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) से करार भी कर लिया है, जो शोध कामयाब रहने पर फौरन बाजार के लिए प्रोडक्शन शुरू कर देगी।
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