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असदुद्दीन ओवैसी मुसलमानों के एकमात्र प्रतिनिधि बन सके इसलिए देते हैं विवादास्पद बयान!

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बेंगलुरू। अपने ज्वलनशील बयानों के लिए कुख्यात एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी एक फिर विवादों में हैं। अयोध्या राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खिलाफ विवादित बयान देते हुए ओवैसी ने कहा है कि उन्हें विवादित स्थल पर बाबरी मस्जिद चाहिए जबकि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 134 वर्ष पुराने विवाद पर विराम लगाते हुए गत 9 दिसंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल को राम लला विराजमान को सौंपने का फैसला सुना चुकी है।

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सुप्रीम कोर्ट अपने फैसले में मस्जिद के लिए अयोध्या में अलग से कहीं 5 एकड़ जमीन देने की बात कह चुकी है। कोर्ट के फैसले के बाद विवादित स्थल से जुड़े सभी पक्षकारों ने भी फैसले को स्वाकीर कर लिया है, लेकिन ओवैसी न केवल उच्चतम न्यायालय के फैसले की खिलाफत की बात करते हैं बल्कि कोर्ट की अवमानना करने से भी गुरेज नहीं करते हैं।

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अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर असहमति जाहिर करते हुए कहा था कि उन्हें फैसला मंजूर है, लेकिन आगे कहते हैं कि फैसले देते समय सुप्रीम कोर्ट से भी गलती हो सकती है। कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए ओवैसी ने सवाल उठाते हुए कहते हैं कि अगर मस्जिद नहीं गिरी होती तब भी सुप्रीम कोर्ट क्या यही फैसला सुनाती? ओवैसी ने कहते हैं कि वो (मुस्लिम) अपने कानूनी अधिकार के लिए लड़ रहे थे, जिन्हें 5 एकड़ जमीन की खैरात की जरूरत नहीं, क्योंकि मुस्लिम मस्जिद के लिए खुद पैसे जुटा सकता है।

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कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करते हुए ओवैसी कहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अगर विवादित स्थल पर लगा ताला नहीं खुलवाया गया होता और पूर्व कांग्रेसी प्रधानमंत्री नरसिंम्‍हा राव ने अपने कर्तव्‍यों का पालन किया होता तो अब भी विवादित स्‍थल पर मस्जिद मौजूद होता। सबको मालूम है कि गत 6 दिसंबर, 1992 उन्मादी भीड़ द्वारा विवादित परिसर को गिरा दिया गया था, जिसके बाद पूरे देश में हुए दंगा हुआ था। अकेले मुंबई दंगे में 2000 से अधिक लोगों की जान चली गई थी।

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हालांकि सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर सवाल उठाने वाले ओवैसी के खिलाफ देश के कई राज्यों में उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें एक मुकदमा बिहार में छपरा जिले में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु कुमार सिंह ने सीजेएम की अदालत में परिवाद दायर किया है और दूसरा मुकदमा मध्य प्रदेश के इंदौर जिले में दर्ज कराया गया है, बावजूद इसके ओवैसी के विवादित बयानों का सिलसिला अनवरत रूप से जारी है। दायर परिवाद में सांसद असदुद्दीन ओवैसी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरुद्ध आवाज उठाने समेत कई और कई आरोप लगाए हैं।

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सवाल उठता है कि आखिर असुदद्दीन ओवैसी ऐसे विवादित बयान क्यों देते है? यह सवाल अकेले असुदद्दीन ओवैसी से नहीं है, बल्कि छोटे भाई अकबरूद्दीन ओवैसी से पूछा जाना चाहिए, जिन्होंने एक बार ज्वलनशील बयानों की सीमा लांघते हुए वर्ष 2013 में कह दिया था कि हिंदुस्तान में मुसलमान 25 करोड़ हैं और हिंदू 100 करोड़, 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दो, देख लेंगे किसमें कितना दम है।

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उनके विवादित भाषण पर पूरे हिंदुस्तान में विरोध हुआ। यहां तक कि मुसलमानों ने ओवैसी बंधुओं के बयानों से खूद को दूर कर लिया था, जिनकी नुमाइंदगी के लिए असुदद्दीन ओवैसी विवादित बयानों को अपना सिरमौर बना रखा है, लेकिन दोनों भाईयों पर फर्क नहीं पड़ता है। इसकी तस्दीक अकबरूद्दीन ओवैसी द्वारा जुलाई, 2019 में दिया गया वह भाषण है, जिसमें अकबरूद्दीन वर्ष 2013 दिए अपने विवादित बयान का जिक्र करते हुए कहते हैं कि 15 मिनट ऐसा दर्द है जो अभी तक नहीं भर सका है।

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सबसे बड़ा सवाल यह है कि ओवैसी बंधुओं के विवादित बयानों से भारतीय मुस्लिम कितना सरोकार रखते हैं, क्योंकि जब ओवैसी बंधु मंच से विवादित बयान दे रहे होते हैं, तो चटकारे लगाती हुई हजारों की भीड़ तालियां बजाती हुई नेपथ्य में जरूर दिखती है, लेकिन ओवैसी बंधुओं के मंच से उतरते ही भीड़ काफूर हो जाती है। माना जाता है कि ओवैसी बंधुओं के नाट्य मंचन से मुस्लिम आनंदित जरूर होती हैं, लेकिन अपना नुमाइंदा बनाना बिल्कुल पंसद नहीं करती हैं।

यही कारण है कि ओवैसी के अयोध्या राम मंदिर पर दिए बयानों पर अयोध्या राम मंदिर केस में पक्षकार इकबाल अंसारी दरकिनार करते हुए कहा कि कोई क्या कह रहा है, हम सुनते भी नहीं हैं। इकबार अंसारी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका नहीं डालेंगे, क्योंकि एक फैसला आने में 70 साल लग गए, हम चाहेंगे कि हिंदू-मुस्लिम भाईचारा बना रहे।

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ऐसा नहीं है कि सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विवादित बयान सिर्फ अयोध्या राम मंदिर विवाद पर दिया है। ओवैसी की पहचान ही विवादित बयानों से होती है। तीन तलाक कानून पर विवादित बयान देकर ओवैसी ने बवाल खड़ा करने की कोशिश की। असुदद्दीन ओवैसी के विवादित बयानों के पीछे की कहानी राजनीतिक है, क्योंकि ओवैसी ने पूरे भारत के मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व का सपना जेहन में पाल रखा है और उन्हें भ्रम है कि एक दिन ऐसा आएगा जब उनके बयानों पर पूरे हिंदुस्तान का मुस्लिम ताली बजाएगा और ताली धीरे-धीरे वोटों में बदल जाएगा।

इसकी तस्दीक असुदद्दीन के बयान करते हैं जब ओवैसी कहते हैं कि भारत की धर्मनिरपेक्ष पार्टियां अपने वोटों को मुस्लिम उम्मीदवारों को स्थानांतरित करने में सक्षम नहीं हैं। 2014 में चुने गए 23 मुस्लिम सांसदों में से 18 या 1 9 निर्वाचन क्षेत्रों में 30 फीसदी मतदाता मुस्लिम थे। ओवैसी ने आरोप लगाया कि धर्मनिरपेक्ष पार्टियां मुसलमानों के खिलाफ भेदभाव नहीं करती हैं इसलिए मुस्लिमों को अब स्वयं का राजनीतिक दल बनाना चाहिए, जिसका स्वरूप ओबीसी, दलितों और यादवों के समान होना चाहिए। ओवैसी यहां यह जताना बिल्कुल नहीं भूलते कि हिंदुस्तान में मुस्लिमों का प्रतिनिधुत्व सिर्फ एआईएमआईएम कर सकता है।

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हैदराबाद के एक राजनीतिक परिवार जन्में असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन 1962 में आंध्र प्रदेश विधान सभा के लिए चुने गए थे। वर्ष 1984 में पहली बार हैदराबाद निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय संसद के लिए चुने गए सुल्तान सलाहुद्दीन ने वर्ष 2004 को असदुद्दीन का अपना उत्तराधिकारी बनाया। हैदराबाद के निजाम कॉलेज (उस्मानिया विश्वविद्यालय) से कला में स्नातक वैसी पेशे से एक बैरिस्टर हैं जबकि उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी तेलंगाना विधान सभा के सदस्य हैं और उनका सबसे छोटा भाई बुरहानुद्दीन ओवैसी इटैमाद के संपादक हैं।

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कई टिप्पणीकारों असुदद्दीन ओवैसी की तुलना पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना से करते हैं, जो अपनी कट्टर जुबां के लिए कुख्यात थे। हालांकि ओवैसी कहते हैं कि उनकी लड़ाई भारतीय संविधान के ढांचे के भीतर है। ओवैसी सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में पिछड़े मुसलमानों के लिए आरक्षण का समर्थन करते हैं। शायद यही कारण है कि मुस्लिम समुदाय को ओवैसी आकर्षित करते है, जिसके परिणाम है कि एआईएमआईएम महाराष्ट्र में 3 सीटें जीत जाती है।

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ओवैसी कहते हैं कि वह हिंदुत्ववादी विचारधारा के खिलाफ हैं, लेकिन हिंदुओं के खिलाफ नहीं हैं। जुलाई 2016 में, ओवैसी के एक भाषण के लिए प्रशंसा की गई कि जब उन्होंने आईएसआईएस को नरक का कुत्ता कहा। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा की भारी जीत के लिए जहां पूरा विपक्ष ईवीएम में धांधली बताता नहीं थक रहा था, उस समय ओवैसी कहते हैं कि ईवीएम में नहीं धांधली हिंदुओं के दिमागों में हुई है, जिसके चलते बीजेपी की प्रचंड जीत हुई।

यह भी पढ़ें- अयोध्या फैसले पर असदुद्दीन ओवैसी ने फिर दिया बयान, बोले- 'मुझे मेरी मस्जिद वापस....'

Comments
English summary
The question is how much Indian Muslims are attached to the disputed statements of the Owaisi brothers, because when the Owaisi brothers are making controversial statements from the stage, the crowd of thousands is seen clapping, but the crowd has never been associated with them. Muslims are believed to enjoy theatrical performances of the Owaisi brothers, but they do not like to choose them as their representatives.
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