मेक्सिको से 311 भारतीयों को किया गया डिपॉर्ट, लाखों खर्च कर जाना चाहते थे अमेरिका
नई दिल्ली। अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे लगभग 325 भारतीय यात्रियों को मैक्सिको सरकार ने वापस स्वदेश भेज दिया है। 325 भारतीय विशेष विमान के जरिए शुक्रवार सुबह दिल्ली पहुंचे। मैक्सिको ने यह फैसला अमेरिका की चेतावनी के बाद लिया था। इन सभी भारतीयों ने कथित तौर पर पिछले कुछ महीनों में इंटरनेशनल एजेंटों की मदद से गैरकानूनी ढंग से मैक्सिको में प्रवेश किया था, ताकि वहां से अमेरिका में प्रवेश कर सकें।
मैक्सिको के नेशनल माइग्रेशन इंस्टीट्यूट का कहना है कि मैक्सिको के ओक्साका, बाजा कैलिफोर्निया, वेराक्रूज, चियापास, सोनोरा, मैक्सिको सिटी, डुरांगो और तबास्को राज्यों से चिन्हित कर इन्हें भारत भेजा गया है। यह यहां अवैध रूप से रह रहे थे। वापस भेजे जाने वाले सभी भारतीयों को वेराक्रूज में अकायुकन आव्रजन केंद्र पहुंचाया गया और वहां से उन्हें वापस भेजा गया। अमेरिका ने पिछले दिनों मैक्सिको को प्रवासियों को लेकर धमकी दी थी।
A specially arranged non-scheduled flight carrying more than 325 repatriated Indians reached Delhi airport earlier today.These Indians had allegedly illegally reached Mexico to enter USA over the last few months with the help of international agents. pic.twitter.com/iAbHFopYdX
— ANI (@ANI) October 18, 2019
मैक्सिको के अधिकारियों ने कहा कि जिन प्रवासियों को वापस भेजा गया है, वे सभी 60 फेडरल माइग्रेशन एजेंटों के जरिए यहां पहुंचे थे। हमारी जांच में पता चला कि इनके पास पर्याप्त दस्तावेज नहीं थे। नियमित तौर पर रहने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होने के बाद भी पिछले कई महीनों से ये यहां रह रहे थे। सूत्रों का कहना है कि ग्रुप के सभी सदस्यों ने 25-30 लाख रुपये एजेंट्स को दिए थे।
मैक्सिको बॉर्डर के जरिए इन एजेंट्स ने सभी भारतीयों से अमेरिका की सीमा में प्रवेश और नौकरी दिलाने का वादा किया था। इस रकम में हवाई यात्रा के साथ ही मैक्सिको में ठहरने की व्यवस्था, खाने-पीने का इंतजाम भी शामिल था।इस फ्लाइट में सवार गौरव कुमार नाम के एक शख्स ने बताया कि हमारे एजेंट ने हमें जंगलों में भेजा। हम लगभग दो सप्ताह तक जंगलों में घूमे फिर हमें मैक्सिको से भगा दिया गया। उन्होंने कहा कि केवल भारतीयों को निर्वासित किया गया जबकि श्रीलंका, नेपाल और कैमरून के लोग अभी भी वहां मौजूद हैं।