JNU प्रशासन ने रोमिला थापर से मांगा बायोडाटा तो दिग्गज इतिहासकार ने दिया ये जवाब, जानिए पूरा मामला
नई दिल्ली। जानी-मानी इतिहासकार रोमिला थापर से जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) प्रशासन ने बायोडाटा यानी सीवी (Curriculum Vitae) मांगा है। ऐसा इसलिए किया गया है जिससे यह विचार किया जा सके कि क्या वो जेएनयू में प्रोफेसर एमेरिट्स के तौर जुड़ी रहेंगी या नहीं। हालांकि, जेएनयू प्रशासन के इस फैसले को लेकर विवाद शुरू हो गया है। जेएनयू में लंबे समय से प्रोफेसर एमेरिट्स के तौर पर जुड़ी रोमिला थापर से सीवी मांगने का छात्रों, शिक्षकों और इतिहासकारों के एक वर्ग ने विरोध किया है। जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए इसे 'राजनीति से प्रेरित' बताया है। हालांकि, यूनिवर्सिटी प्रशासन का कहना है कि उन्होंने तय नियमों के तहत ही थापर से सीवी की मांग को लेकर पत्र लिखा है। इस बीच रोमिला थापर ने भी पूरे मामले पर अपना जवाब दिया है।
जेएनयू शिक्षक संघ ने मामले पर उठाए सवाल
प्रख्यात इतिहासकार रोमिला थापर प्रोफेसर एमेरिट्स के तौर पर 1993 से जेएनयू से जुड़ी हुई हैं। अब जिस तरह से जेएनयू प्रशासन ने रोमिला थापर से सीवी की मांग की है, इस पर जवाहरलाल नेहरू टीचर्स एसोसिएशन (जेएनयूटीए) ने सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यह कदम 'मौजूदा प्रशासन की आलोचना करने वालों को बेइज्जत करने की कोशिश और जानबूझकर किया गया एक प्रयास' है। उन्होंने इस कदम की औपचारिक वापसी की मांग करते हुए कहा कि उनके (रोमिला थापर) लिए व्यक्तिगत माफी जारी की जाए।
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जानिए क्या है पूरा विवाद
जेएनयू शिक्षक संघ ने कहा कि रोमिला थापर और विश्वविद्याल के सभी प्रोफेसर एमेरिट्स को एक संस्थान के तौर पर जेएनयू के निर्माण में उनके योगदान के लिए उन्हें इस पद पर जीवन भर के लिए नामित किया गया है। दूसरी ओर जेएनयू विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से बताया गया कि उन्होंने रोमिला थापर को ये पत्र उनकी सेवा को खत्म करने के लिए नहीं बल्कि विश्वविद्यालय की सर्वोच्च वैधानिक निकाय कार्यकारिणी परिषद की ओर से समीक्षा करने की जानकारी देने के लिए लिखा है। ऐसा दूसरे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में भी होता है।
जेएनयू प्रशासन ने पूरे मामले पर क्या कहा
जेएनयू प्रशासन ने कहा, 'वह विश्वविद्यालय में प्रोफेसर एमेरिट्स के पद पर नियुक्ति के लिए अपने नियमों का पालन कर रहा है। नियमों के मुताबिक, विश्वविद्यालय के लिए यह जरूरी है कि वह उन सभी को पत्र लिखे जो 75 साल की उम्र पार कर चुके हैं, जिससे उनकी उपलब्धता और विश्वविद्यालय के साथ उनके संबंध को जारी रखने की उनकी इच्छा का पता किया जा सके। इसी के साथ विश्वविद्यालय ने सफाई देते हुए कहा कि ये पत्र उनकी सेवा को खत्म करने के लिए नहीं जारी किया गया है।
सीवी मांगे जाने पर रोमिला थापर ने दिया ये जवाब
इस बीच सीवी मांगने को लेकर हुए विवाद में पद्मभूषण से सम्मानित इतिहासकार रोमिला थापर की भी प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि वह प्रोफेसर एमेरिट्स के तौर पर जुड़े रहने के लिए विश्वविद्यालय को अपना सीवी नहीं देना चाहतीं हैं। एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा, 'यह स्टेटस उन्हें जीवन भर के लिए दिया गया है। जेएनयू प्रशासन मुझसे सीवी मांगने के लिए तय नियमों के खिलाफ जा रहा है।'
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