क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

पत्रकारों पर हिंदुत्वादियों के संगठित हमले बढ़े हैं: आरएसएफ़

भारत में पत्रकारों के विरुद्ध सामान्य हिंसा के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि "पुलिस, माओवादी, अपराधी और भ्रष्ट राजनेताओं की हिंसा का सामना पत्रकारों को करना पड़ता है जिसकी वजह से वे आज़ादी से काम नहीं कर पाते."

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
हिंदुत्व
BBC
हिंदुत्व

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स या रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए (आरएसएफ़) दुनिया की जानी-मानी संस्था है, यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता की स्वतंत्रता की स्थिति पर सालाना रिपोर्ट जारी करती है.

भारत पिछले साल के मुक़ाबले दो पायदान नीचे गिरा है, भारत 138वें नंबर से खिसककर 140वें स्थान पर आ गया है, 2017 में भारत 136वें स्थान पर था यानी यह लगातार हो रही गिरावट है.

रिपोर्ट बताती है कि 2018 में भारत में कम-से-कम छह पत्रकार अपना काम करने की वजह से मारे गए. पूरी रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं.

आरएसएफ़ का निष्कर्ष है, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक चुनाव से पहले पत्रकारों के ख़िलाफ़ बहुत आक्रामकता दिखा रहे हैं. हिंदुत्व के समर्थक राष्ट्रीय बहसों से उन सभी विचारों को मिटा देना चाहते हैं जिन्हें वे राष्ट्र विरोधी मानते हैं."

पत्रकारों की आवाज़ दबाए जाने के बारे में रिपोर्ट कहती है, "सरकार की आलोचना करने वाले पत्रकारों के खिलाफ़ आपराधिक मामले दर्ज किए जाते हैं, कुछ मामलों में तो राजद्रोह का केस दर्ज किया जाता है जिसमें आजीवन कारावास की सज़ा हो सकती है."

रिपोर्ट में कहा गया है, "उन पत्रकारों के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर संगठित तरीक़े से नफ़रत का अभियान चलाया जाता है जो ऐसे विषयों को उठाने की हिम्मत करते हैं जिनसे हिंदुत्व के समर्थकों को चिढ़ है. कई बार तो पत्रकारों को जान से मारने की धमकी दी जाती है. अगर पत्रकार महिला हो तो हमला और भी बुरा होता है."

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स या रिपोर्टर्स सां फ्रांतिए

महिला रिपोर्टरों की हालत पर भी संस्था ने गहरी चिंता जताई है, रिपोर्ट में कहा गया है, "#metoo के ज़रिए पता चला है कि महिला पत्रकारों को अपने दफ़्तर में किस तरह के माहौल में काम करना पड़ता है."

यह भी कहा गया है कि जिन क्षेत्रों को सरकार ने संवेदनशील घोषित कर दिया है, वहां से रिपोर्टिंग करना बेहद मुश्किल है. रिपोर्ट ने ख़ास तौर पर कश्मीर का ज़िक्र किया है, "विदेशी पत्रकारों के कश्मीर जाने पर रोक लगा दी गई है और वहां इंटरनेट अक्सर बंद कर दिया जाता है."

भारत में पत्रकारों के विरुद्ध सामान्य हिंसा के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि "पुलिस, माओवादी, अपराधी और भ्रष्ट राजनेताओं की हिंसा का सामना पत्रकारों को करना पड़ता है जिसकी वजह से वे आज़ादी से काम नहीं कर पाते."

क्या हालत है बाक़ी देशों में

प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स नॉर्वे पहले नंबर पर है, पहले दस देशों में ज़्यादातर उत्तरी यूरोप यानी स्कैंडेनेविया के हैं, इनमें न्यूज़ीलैंड और कनाडा भी काफ़ी ऊपर है. पत्रकारिता की स्वतंत्रता के मामले में भारत पड़ोसी देशों नेपाल (106) और श्रीलंका (126) से भी नीचे है.

अगर पाकिस्तान से तुलना करें तो वह भारत से सिर्फ़ दो पायदान नीचे, 142वें नंबर पर है. ब्रिटेन 33वें नंबर पर और अमरीका 48वें नंबर पर है.

प्रेस स्वतंत्रता के हिसाब से पहले दस देशों में एशिया या अफ़्रीका का एक भी देश नहीं है, ज़्यादातर देश यूरोप के हैं. सीरिया, सूडान, चीन, इरीट्रिया, उत्तर कोरिया और तुर्कमेनिस्तान अंतिम पांच में हैं.

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
Organized attacks of Hindus have increased on journalists RSF
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X