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इस्लामिक देशों के संगठन OIC ने भारत में हिजाब और धर्म संसद पर ये कहा

दुनिया भर के 57 मुसलमान बहुल देश ओआईसी के सदस्य हैं. ओआईसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है. भारत में हिजाब विवाद को लेकर पाकिस्तान, अमेरिका के बाद अब ओआईसी ने चिंता जताई है.

By BBC News हिन्दी
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इस्लामिक देशों के संगठन ऑर्गेनाइज़ेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) ने सोमवार को भारत को लेकर गहरी नाराज़गी जताई.

ओआईसी ने हरिद्वार में धर्म संसद, कर्नाटक में हिजाब विवाद और मुसलमानों के ख़िलाफ़ कथित नफ़रत को लेकर चिंता जताते हुए बयान जारी किया है.

ओआईसी के महासचिव की ओर से जारी बयान में कहा गया है, ''ओआईसी के महासचिव ने भारत के हरिद्वार में हिन्दुत्व के झंडाबरदारों की ओर से मुसलमानों के जनसंहार की अपील और सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न को लेकर चिंता जताई है. कर्नाटक में मुस्लिम महिलाओं के हिजाब पहनने पर प्रतिबंध भी चिंताजनक है. ओआईसी के महासचिव ने इन मामलों में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ख़ास कर संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार परिषद से ज़रूरी क़दम उठाने की अपील की है.''

https://twitter.com/OIC_OCI/status/1493191463374626821

बयान में कहा गया है, ''ओआईसी के महासचिव ने भारत से आग्रह किया है कि वह मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे. इसके साथ ही मुसलमानों की जीवन शैली की भी रक्षा होनी चाहिए. मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंसा और नफ़रत फैलाने वालों को न्याय के कटघरे में खड़ा करना चाहिए.''

ओआईसी के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी प्रतिक्रिया आ रही है. कश्मीरी पत्रकार आदित्य राज कौल ने ट्वीट कर कहा है, ''क्या ओआईसी मुस्लिम महिलाओं के साथ केवल पीछे ले जाने वाले रिवाजों का समर्थन कर ही खड़ा रह सकता है? जब मुस्लिम लड़कियां अतिवादियों पर सवाल उठाती हैं और उनका उत्पीड़न होता है, तब ओआईसी कहाँ रहता है? कश्मीर में अरूसा परवेज़ के बारे में सुना है?''

हालांकि ओआईसी के बयान को पाकिस्तान में हाथोंहाथ लिया गया है. पाकिस्तान के लोगों ने ओआईसी से असंतोष भी व्यक्त किया है. पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार डॉन के रिपोर्टर तारिक़ नक़ाश ने ओआईसी के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा है, ''क्या आप ज़िंदा हैं?'' पाकिस्तान के कुछ लोगों ने लिखा है कि केवल बयान जारी करने से नहीं होगा.

भारत का जवाब

कर्नाटक में हिजाब विवाद पर विदेशों से आई प्रतिक्रिया को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी जवाब दिया था. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बयान जारी कर कहा था, ''कर्नाटक के कुछ शिक्षण संस्थानों में ड्रेस कोड का मामला प्रदेश के हाई कोर्ट में विचाराधीन है. हमारे संवैधानिक ढांचे और तंत्र के साथ ही लोकतांत्रिक स्वभाव और नीति के ज़रिए इस मुद्दे का समाधान होगा. जो भारत को ठीक से जानते हैं, उन्हें सच्चाई पता है. हमारे आंतरिक मुद्दों पर राजनीति से प्रेरित टिप्पणियां स्वागत योग्य नही हैं.''

कर्नाटक में हिजाब विवाद को लेकर अमेरिका के इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम (आईआरफ़) ने भी पिछले हफ़्ते शुक्रवार को बयान जारी किया था. आईआरएफ़ ने कहा था कि कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और इससे मुस्लिम महिलाएं मुख्यधारा से कट जाएंगी. कर्नाटक में हिजाब को लेकर अब भी विवाद चल रहा है.

https://twitter.com/MEAIndia/status/1492364195802738689

कर्नाटक हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश में छात्रों के क्लासरूम में हिजाब पहनने या भगवा गमछा लेकर आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसे लेकर भारत के भीतर कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन हो रहा है.

ओआईसी ने इससे पहले कश्मीर को लेकर भी बयान जारी किया था. पिछले साल सितंबर में ओआईसी ने कश्मीर को लेकर कहा था कि वहां के लोगों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए. भारत ने ओआईसी के बयान पर कहा था कि वह कश्मीर की सच्चाई नहीं जानता है इसलिए अपने मंच का दुरुपयोग किसी ख़ास देश के लिए ना होने दे.

खाड़ी के कई देशों में भारत के राजदूत रहे तलमीज़ अहमद ने बीबीसी से कहा था कि ओआईसी एक अप्रासंगिग संगठन है और इसके बयान जारी करने का कोई मतलब नहीं होता है.

https://twitter.com/IRF_Ambassador/status/1492153532350402564

भारत में धार्मिक स्वतंत्रता

पिछले साल अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों के लिए 'कंट्रीज़ ऑफ़ पर्टीकुलर कंसर्न' यानी सीपीसी की सूची जारी की थी. धार्मिक आज़ादी का आकलन करने वाले एक अमेरिकी पैनल 'यूएस कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलिजियस फ़्रीडम' की इस लिस्ट में भारत का नाम शामिल करने का सुझाव दिया गया था, लेकिन इसके बावजूद बाइडन प्रशासन ने भारत का नाम सूची में शामिल नहीं किया था.

इस सूची में पाकिस्तान, चीन, तालिबान, ईरान, रूस, सऊदी अरब, एरिट्रिया, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और बर्मा सहित 10 देशों को शामिल किया गया था. हर साल अमेरिका ऐसे देशों और संगठनों की लिस्ट जारी करता है जो अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के मानकों पर खरे नहीं उतरते हैं.

इसके अलावा अमेरिका ने अल्जीरिया, कोमोरोस, क्यूबा और निकारागुआ को विशेष निगरानी सूची में रखा था, जो कथित तौर पर धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघन में शामिल हैं.

धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर काम करने वाले अमेरिकी कमीशन की सिफ़ारिश के बावजूद सीपीसी लिस्ट में भारत को शामिल नहीं करने पर कई लोग सवाल भी खड़े कर रहे थे. आयोग ने अपने बयान में कहा था, ''साल 2020 में धार्मिक आज़ादी के आकलन के बाद सीपीसी सूची के लिए चार देशों के नाम विदेश मंत्रालय को सुझाए गए थे, जिनमें- भारत, रूस, सीरिया और वियतनाम शामिल हैं, लेकिन रूस को छोड़ कर इनमें से किसी देश को सूची में शामिल नहीं किया गया.''

ओआईसी
Getty Images
ओआईसी

ओआईसी क्या है?

ओआईसी के दुनिया भर के 57 मुसलमान बहुल देश सदस्य हैं. ओआईसी पर सऊदी अरब और उसके सहयोगी देशों का दबदबा है.

ओआईसी का उद्देश्य दुनिया भर में अंतरराष्ट्रीय शांति और सद्भाव को बनाए रखते हुए मुसलमानों के हितों की सुरक्षा करना है. इस समूह के सदस्य केवल मुस्लिम देश ही हो सकते हैं.

सदस्य देशों के अलावा रूस, थाईलैंड और कुछ दूसरे छोटे देशों को आब्ज़र्वर का स्टेट्स मिला हुआ है.

2018 में बांग्लादेश ने सुझाव रखा था कि दुनिया भर के मुसलमानों की कुल आबादी के 10 प्रतिशत से ज़्यादा लोग भारत में रहते हैं, लिहाज़ा भारत को आब्ज़र्वर का स्टे्टस दिया जाए, हालांकि पाकिस्तान के विरोध के चलते यह यह संभव नहीं हो सका. हालांकि 2009 में ओआईसी के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहली बार गेस्ट ऑफ़ ऑनर के तौर पर शामिल हुई थीं.

वैसे ओआईसी के क़रीब हर सदस्य देश के साथ भारत के रिश्ते मधुर हैं. हाल के सालों में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के साथ भारत के रिश्ते बेहतर हुए हैं.

(कॉपी - रजनीश कुमार)

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English summary
Organization of Islamic countries OIC comment on Hijab in India
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