शाह की रैली जैसा न हो जाए हाल, इसलिए आपस में बांधी कुर्सियां
राजकोट। हाल ही में गुजरात के सूरत में अमित शाह की रैली में पाटीदारों द्वारा कुर्सियां फेंके जाने की घटना ने ऐसी सभाओं के आयोजकों के को डरा दिया है। शाह की रैली से सबक लेते हुए रविवार को राजकोट में विजय रूपानी के कार्यक्रम में आयोजकों ने वहां लगी कुर्सियों को आपस में बांध दिया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि कोई कुर्सियां न फेंक सके।
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यह कार्यक्रम राजकोट के जसदान तालुका के अटकोट गांव में हुआ था, जहां पर एक मल्टी-स्पेशियलिटी अस्पताल की आधारशिला रखे जाने का कार्यक्रम था। आपको पता दें कि इस क्षेत्र में पाटीदार समूह के लोगों की संख्या काफी अधिक है। इस कार्यक्रम में करीब 25,000 लोग आए थे, जिसके चलते यहां पर कड़ी सुरक्षा बरती गई थी।
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पुलिस ने 25 पाटिदारों को इस कार्यक्रम के जगह पर जाने से रोक दिया, क्योंकि उन्हें शक था कि वे लोग विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। कार्यक्रम स्थल पर कुर्सियों की संख्या भी काफी कम थी, जिसके चलते बहुत से लोगों को जमीन पर बिछी दरी पर ही बैठना पड़ा था।
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पाटीदार समुदाय के लोगों ने फेंकी थीं कुर्सियां
बीते गुरुवार को गुजरात के सूरत में अमित शाह ने पाटीदार समुदाय का समर्थन दिखाने के लिए एक रैली की थी, जिसे राजस्व समारोह का नाम दिया था। इस समारोह में भाजपा के पाटीदार नेताओं और विधायकों का सम्मान होना था।
लेकिन यह समारोह तब रोक देना पड़ा जब पाटीदारों ने आकर जमकर हंगामा किया। हंगामें में लोगों के बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियां भी फेंकी गईं। हंगामा कर रहे लोग 'हार्दिक, हार्दिक' और 'जय सरदार, जय पाटीदार' का नारा लगा रहे थे।
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हुआ लाठीचार्ज, छोड़ने पड़े आंसू गैस के गोले
इस रैली को सफल बनाने में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी थी। लेकिन रैली में पाटीदारों ने हार्दिक, हार्दिक का नारा लगाते हुए ऐसा हंगामा किया भाजपा के बड़े नेताओं को बीच में ही भाषण रोक कर कार्यक्रम से जाना पड़ा। भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे।