ट्रेन के मलबे के नीचे 3 घंटे तक दबा था युवक, चिल्लाकर बताया घर का फोन नंबर
करीब तीन घंटे बाद जब राहत-बचाव दल ने युवक को बाहर निकालकर एंबुलेंस में रखा तो उसके साथ अस्पताल जाने वालों में सिर्फ लाशें थीं।
कानपुर। इंदौर-पटना एक्सप्रेस ट्रेन हादसे में करीब डेढ़ सौ लोगों की जान जा चुकी है। बड़ी संख्या में घायलों की हालत गंभीर है। इस बीच ट्रेन हादसे का शिकार हुए युवक ने अपनी आपबीती साझा की है। मौत के मुंह से जिंदा वापस आया युवक करीब तीन घंटे तक ट्रेन में फंसा रहा।
26 वर्षीय बिजनेस स्टूडेंट उत्तम कुमार ने उस खौफनाक मंजर को फिर से याद किया तो उसकी आंखें भर आईं। करीब तीन घंटे बाद जब राहत-बचाव दल ने उसे बाहर निकालकर एंबुलेंस में रखा तो उसके साथ अस्पताल जाने वालों में सिर्फ लाशें थीं।
पढ़ें: केजरीवाल ने ट्विटर पर की ये गलतियां, लोगों ने खूब उड़ाया मजाक
लाशों
के
बीच
इकलौती
जान
न्यूज
एजेंसी
एएफपी
को
उसने
बताया,
'उन
लोगों
ने
डिब्बे
को
काटकर
किसी
तरह
मुझे
बाहर
निकाला।
वहीं
घटनास्थल
पर
खड़ी
एंबुलेंस
में
मुझे
रखा
गया।
लेकिन
उसमें
सिर्फ
मैं
ही
थी
जो
जिंदा
था।
बाकी
सारी
लाशें
थीं।'
मलबे
के
नीचे
से
चिल्ला
कर
बताया
नंबर
राहत-बचाव
दल
के
सदस्यों
ने
बताया
कि
कई
लाशें
इस
हालत
में
मिलीं
कि
उन्हें
पहचानना
भी
मुश्किल
था।
कुमार
के
परिजनों
को
इसकी
सूचना
घटनास्थल
पर
मौजूद
लोगों
ने
दी
थी।
लोगों
ने
बताया
कि
ट्रेन
के
मलबे
के
नीचे
दबे
हुए
वह
जोर-जोर
से
अपने
घर
का
नंबर
चिल्ला
रहा
था।
वहां
खड़े
लोगों
ने
नंबर
नोट
किया
और
फोन
करके
घरवालों
को
इसकी
सूचना
दी।
पढ़ें: सीट बदलने से बच गई इस शख्स की जान, करीब से देखा मौत का मंजर
75
साल
के
दादा
का
पता
नहीं
उत्तम
कुमार
ने
कहा,
'वहां
खड़े
लोग
मुझे
निकाल
नहीं
सकते
थे
इसलिए
मैंने
अपने
घर
का
नंबर
बताया
कि
कम
से
कम
वो
उन्हें
सूचित
कर
दें।
मेरे
बगल
में
मेरे
75
वर्षीय
दादा
बैठे
थे।
उनका
पता
नहीं
चला
है।
उन्हें
ढूंढ़ना
सबसे
बड़ी
बात
है।'
हादसे
में
उत्तम
के
सिर
और
पीठ
पर
जख्म
आए
हैं।
पढ़ें: यहां मिल रहा है रिलायंस जियो से भी तगड़ा ऑफर, जानिए क्या-क्या हैं फायदे