ऑर्डर (Order) की बड़ी बातें जो महाभियोग का नोटिस खारिज करते वक्त वेंकैया नायडू ने बताईं
नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ, कांग्रेस की अगुवाई में 7 विपक्षी दलों की ओर से लाए गए महाभियोग प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने खारिज कर दिया है। उपराष्ट्रपति की ओर से इस संबंध में 10 पन्ने का एक ऑर्डर जारी किया गया है, जिसमें वेंकैया नायडू ने प्रस्ताव को खारिज करते वक्त वजहें बताई हैं। नायडू ने आज एक आदेश में कहा कि उन्होंने नोटिस से उत्पन्न सभी पहलुओं पर विस्तृत व्यक्तिगत बातचीत की थी और व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक रूप से किए गए प्रत्येक आरोपों पर विचार किया । उन्होंने कहा कि 'इन सब के आधार पर, मैं इस निष्कर्ष पर आया हूं कि यह महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार होने के लायक नहीं है ... सावधानीपूर्वक विश्लेषण पर, मुझे लगता है कि वस्तुतः कोई ठोस वजह नहीं है। हम हमारे शासन के किसी भी स्तंभ को अनुमति नहीं दे सकते कि वो किसी भी विचार, शब्द या कार्रवाई से कमजोर हो जाए।'
वेंकैया नायडू ने आदेश में कहा है कि...
वेंकैया नायडू ने आदेश में कहा है कि 'मैंने प्रस्ताव में लगाए गए सभी 5 आरोपों पर अपना दिमाग लगाया। मैंने प्रस्ताव के संबंध में सभी संलग्न कागजातों का भी परीक्षण किया। मेरा स्पष्ट मत यह है कि प्रस्ताव में दिए गए सभी तथ्य, उनके साथ संलग्न कागजातों के परीक्षण से पता चलता है कि कोई ऐसा तथ्य नहीं था जो संविधान के अनुच्छेद 124(4) के तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश के दुर्वयव्हार की पुष्टि करता हो।'
'स्वीकार करना ना तो वांछनीय है ना ही उचित'
आदेश में वेंकैया ने कहा है कि 'महाभियोग प्रस्ताव के लिए अनुलग्नक, विस्तृत परामर्श और संवैधानिक विशेषज्ञों की राय का अध्ययन करने के बाद, वह 'संतुष्ट हैं कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करना ना तो वांछनीय है ना ही उचित।' नायडू ने अपने आदेश में कहा है कि 'आखिर में, मुझे यह देखने को लाचार हूं कि इस मामले में, राज्यसभा के सदस्यों के लिए हैंडबुक के पैरा 2.2 में अच्छी तरह से स्थापित संसदीय रीति-रिवाजों और सम्मेलनों को नजरअंदाज कर दिया गया है।'
'महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार करता हूं'
नायडू ने कहा कि 'मैंने महाभियोग प्रस्ताव में निहित सामग्री पर विचार किया है और संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ मेरी बातचीत हुई। मैं दृढ़ हूं कि महाभियोग प्रस्ताव स्वीकार करने के लायक नहीं है। मैं महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार करता हूं।'