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नागरिकता संशोधन विधेयक 2019: राज्यसभा में पेश होगा बिल, रोकने के लिए ये दो रणनीति अपनाएगा विपक्ष

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नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा में रोकने के लिए विपक्ष ने दो तरह की रणनीति बनाई है। ये बिल लोकसभा में बीती रात पास हो गया है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि विपक्ष विधेयक को पारित होने को रोकने की कोशिश करेगा। लेकिन बहुमत से कम संख्या होने पर इसे विपक्षी दल प्रवर समिति के पास समीक्षा के लिए भेजने का दबाव भी बनाएगा।

अपने मसौदे तैयार किए हैं

अपने मसौदे तैयार किए हैं

कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और वामपंथी दलों ने इस मामले में अपने मसौदे तैयार किए हैं। कहा जा रहा है कि चार विपक्षी दलों ने सदन में बिल के विपक्ष में जो तर्क दिए हैं, वो इस बात का विरोध करेंगे कि बिल भारत की नागरिकता कानूनों की मूल भावना के खिलाफ है। विपक्ष पूरी कोशिश करेगा कि बिल को समीक्षा के लिए चुनिंदा पैनल को भेज दिया जाए। बता दें इस तरह के विषयों पर समीक्षा के लिए संसद में सेलेक्ट कमिटि होती है। इसके सदस्य सदन के ही सदस्य होते हैं, यहां संबंधित बिल की समीक्षा की जाती है।

इन पार्टियों ने विरोध किया

इन पार्टियों ने विरोध किया

बीजू जनता जल (बीजेडी) ने बिल का लोकसभा में समर्थन किया है जबकि बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और शिवसेना ने इसे लोकसभा में पेश करने का विरोध किया है। अन्य विपक्षी दलों के साथ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने भी बिल का विरोध किया है। अब माना जा रहा है कि सरकार इसे गृह मामलों की समिति के पास समीक्षा के लिए भेजने पर सहमत हो सकती है। जबकि एक कांग्रेस नेता का कहना है कि सरकार शायद ऐसा ना करे क्योंकि समिति का नेतृत्व कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ही कर रहे हैं। इससे पहले जब विपक्षी दलों ने संसद के इस सत्र में सरोगेसी बिल का विरोध किया था, तब बिल को समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेज दिया गया था।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने क्या कहा?

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने क्या कहा?

इस मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेता एलाराम करीम का कहना है, 'हमने बिल को सेलेक्ट कमिटि के पास भेजने के लिए अपने प्रस्ताव तैयार कर लिए हैं। इसे जल्दबाजी में पारित नहीं किया जाना चाहिए।' कांग्रेस और वामपंथी दल बिल का इस आधार पर विरोध कर रहे हैं कि ये संविधान की मूल भावनाओं का उल्लंघन करता है। वहीं डीएमके इस बिल का राज्यसभा में श्रीलंका के शरणार्थियों पर सरकार की चुप्पी को लेकर विरोध करेगी।

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'अमित शाह उत्तर भारत के गृहमंत्री'

'अमित शाह उत्तर भारत के गृहमंत्री'

सोमवार को डीएमके नेता दयानिधि मारन ने कहा था, 'अमित शाह उत्तर भारत के गृहमंत्री हैं। वह देश के गृहमंत्री नहीं हैं क्योंकि वह तमिलनाडु को लेकर परेशान नहीं हैं। ऐसे हजारों श्रीलंकाई तमिल हैं, जो बीते 30 सालों से शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं। लेकिन उन्हें भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। सरकार उनके लिए क्या कर रही है?'

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English summary
opposition will work on two strategy in rajya sabha against citizenship amendment bill, this bill already passed in lok sabha.
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