20 दिन में अमित शाह-मोदी की रणनीति के सामने दूसरी बार तार-तार हुई विपक्षी एकता
नई दिल्ली। राज्यसभा उपसभापति चुनाव में एकबार फिर विपक्षी दलों में टकराव खुलकर देखने को मिला जब एनडीए ने सदन में बहुमत न होने के बावजूद डिप्टी चेयरमैन के पद पर कब्जा जमा लिया। केवल 20 दिनों के अंदर ही एनडीए ने विपक्ष को सदन में दो बार मात दी है। पहली बार अविश्वास प्रस्ताव और इसके बाद उपसभापति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी हरिवंश नारायण सिंह की जीत ने 2019 चुनाव से पहले महागठबंधन की कवायद में जुटे विपक्ष को दो लगातार झटके दिए हैं।
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एनडीए के हरिवंश नारायण सिंह की जीत
जदयू के राज्यसभा सदस्य हरिवंश नारायण सिंह के पक्ष में 125 वोट पड़े जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के बीके हरिप्रसाद को 105 मत हासिल हुए। वहीं, राजनीति के कई जानकारों की मानें तो, कांग्रेस राज्यसभा में एनडीए के खिलाफ माहौल बनाने में नाकाम रही। ये केवल इसलिए नहीं कि कई बीजेपी विरोधी दलों जैसे आप और YSR ने कांग्रेस का समर्थन नहीं किया बल्कि कुछ ने एनडीए के लिए वोट भी किया।
विपक्षी दलों को एकजुट करने में असफल रही कांग्रेस
कांग्रेस एक बार फिर विपक्षी दलों को एकजुट करने में असफल साबित हुई और बीजेपी ने उनके बीच पैठ बनाने में कामयाबी हासिल कर ली। बीजेपी ने जदयू उम्मीदवार को मैदान में उतारा, कांग्रेस भी अपने किसी सहयोगी दल को मौका दे सकती थी, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया और उनकी ये रणनीति कई दलों की नाराजगी का कारण बन गई। बीजेपी ने यहां बीजेडी का समर्थन हासिल कर लिया जोकि विपक्ष के लिए एक बड़ा झटका था। वहीं, हरिवंश नारायण सिंह की अपनी छवि भी उनके पक्ष में गई।
राज्यसभा में कांग्रेस का रहा है दबदबा
लंबे समय से राज्यसभा में कांग्रेस का उपसभापति पद पर कब्जा रहा है।1977 में कांग्रेस के राम निवास मिर्धा उपसभापति पद के लिए चुने गए थे। इसके बाद से लगातार श्यामलाल यादव, एमएम जैकब, प्रतिभा पाटिल, नजमा हेपतुल्ला, रहमान खान और पीजे कुरियन जैसे कांग्रेस नेता राज्यसभा के उपसभापति पद पर रहे। यानी 41 सालों बाद कांग्रेस के हाथों से ये कुर्सी गई है।
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