Triple Talaq के विरोध ने Shayara Bano को दिलायी पहचान, मंत्री की हैसियत से करेंगी ये काम
नई दिल्ली- देश भर में तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद करने के चलते शायरा बानो की अपनी एक पहचान बनी थी। वो भाजपा में शामिल हुईं और इसके बदले 10 दिन बाद ही उत्तराखंड सरकार ने उनको सरकारी तोहफा दे दिया है। उन्हें राज्य सरकार ने राज्य महिला आयोग में बतौर उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया है, साथ ही साथ उन्हें राज्यमंत्री का भी दर्जा दे दिया गया है। बानो को 10 अक्टूबर को देहरादून में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बंसीधर भगत ने पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। उनके अलावा दो और महिलाओं को बतौर राज्य महिला आयोग उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
उत्तराखंड की बीजेपी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि, 'शायरा बानो को दो और महिलाओं ज्योति शाह और पुष्पा पासवान के साथ राज्य महिला आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त करने के साथ ही राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया है।......संस्था में तीन उपाध्यक्षों का पद लंबे वक्त से खाली था। मुख्यमंत्री की ओर से नवरात्रि में ये (उनकी नियुक्ति) उपहार की तरह सामने आया है।' उधर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा है कि नई नियुक्तियों से महिला आयोग को बेहतर तरीके से काम करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'तीनों नई उपाध्यक्ष महिलाओं से संबंधित विभिन्न मामलों को ज्यादा बेहतरी और कुशलता के साथ समाधान करने में मदद करेंगी।'
इससे पहले जब बानो ने भाजपा की सदस्यता ली थी तब कहा था कि उन्होंने इस पार्टी को इसलिए ज्वाइन किया है क्योंकि वह,'बीजेपी के सिद्धांतों से प्रभावित हैं।' उन्होंने कहा, 'मैं ना केवल बीजेपी के सिद्धांतों से बहुत ज्यादा प्रभावित थी, मैं प्रधानमंत्री मोदी को भी आदर्श मानती हूं। ये सारे कारण हैं, जिसके चलते मैंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला किया है।' उन्होंने ये भी कहा कि वह बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार द्वारा कानून बनाकर ट्रिपल तलाक की प्रक्रिया पर प्रतिबंध लगाने से भी बहुत प्रभावित थीं। उन्होंने कहा, 'इस पार्टी की सरकार ने यह सब देश की करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के कल्याण के लिए किया।' उसी दिन उन्होंने बिहार चुनाव में प्रचार की ख्वाहिश जाहिर करते हुए यह भी कहा था कि उन्हें भविष्य में पार्टी नेतृत्व की ओर से जो भी जिम्मेदारी मिलेगी, वह उसे स्वीकार करेंगी।
2014 में ट्रिपल तलाक की परंपरा की वैद्यानिकता को उन्होंने ही पहली बार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके चार महीने पहले उनके शौहर ने उन्हें स्पीड पोस्ट से इंस्टेंट तलाक दे दिया था, जिसके खिलाफ उन्होंने सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाया और देश की हर मुस्लिम महिला को ट्रिपल तलाक की खौफ से हमेशा के लिए छुटकारा दिलवा दिया। वह उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले की रहने वाली हैं।
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