मोदी सरकार की विदेश नीति पर विपक्ष ने खड़े किए सवाल, राहुल गांधी ने इस बात को लेकर चेताया
नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय की कंस्लटेटिव कमेटी की शनिवार को हुई बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर की विदेश नीति पर विपक्ष ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी सहित विपक्ष के नेताओं ने जयशंकर की विदेश नीति पर सवाल खड़ा करते विदेश मंत्री से कहा कि सरकार को अपनी कुछ नीतियों और फैसलों को देखना चाहिए क्योंकि इसे दूसरे देशों में आलोचनात्मक तरीके से देखा जा रहा है।
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विपक्ष की ओर से राहुल गांधी, शशि थरूर और आनंद शर्मा ने कमेटी में सरकार की विदेश नीति पर कई सवाल खड़े किए। इस दौरान अमेरिका के नए प्रशासन से किस तरहसे डील किया जाए, चीन के खिलाफ देश की क्या रणनीति होनी चाहिए अमेरिका और रूस के साथ भारत को किस तरह से अपनी रणनीति को बनाना चाहिए खासतौर पर ऐसे समय में जब अमेरिका और चीन के बीच संबंध ठीक नहीं है। इसके अलावा सरकार को सुझाव दिया गया है कि उसे विदेश नीति पर देश के भीतर आपसी चर्चा करनी चाहिए।
जानकारी के अनुसार राहुल गांधी ने आक्रामक चीन के खिलाफ भारत की क्या रणनीति हो इसपर योजना बनानी चाहिए। राहु गांधी ने इस बात की चिंता जाहिर की है कि दुनिया ध्रवीकरण की ओर बढ़ सकती है, जहां अमेरिका और चीन दो प्रमुख शक्तियों के रूप में उभर सकते हैं। राहुल गांधी ने इस बात की भी आशंका जताई है कि चीन अपने डिजाइन में फेल हो सकता है लिहाजा भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए पहले ही रणनीति बनानी चाहिए।
वहीं विपक्ष की इन आशंकाओं पर जयशंकर ने कहा कि दुनिया ध्रुवीकरण की ओर फिलहाल नहीं बढ़ेगा, रूस, जापान, जर्मनी, यूरोपीय यूनियन की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है। इस बैठक में आनंद शर्मा ने कहा कि विदेश नीति को लेकर हमेशा सभी एक राय रहते थे और यह सर्वसम्मति से बनाई जाती थी, लेकिन सरकार ने इस प्रक्रिया को बाधित किया है और देश के भीतर संवाद नहीं किया जाता है। आनंद शर्मा ने कहा कि आंतरिक बातचीत और सुझाव की प्रक्रिया को फिर से बहाल करने की जरूरत है।
बैठक के दौरान हर किसी ने विदेश मंत्रालय की इस बात को लेकर तारीफ की कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने भारतीय नागरिकों को स्वदेश वापसी के लिए त्वरित कार्रवाई की, खासतौर पर भारतीय छात्रों को वापस लाने में। बैठक के दौरान कांग्रेस के सदस्यों ने सरकार को चेताते हुए कहा कि सरकार की कुछ नीतियों को विदेश में आलोचना हो रही है। कुछ नीतियों का पड़ोसी देशों के साथ संबंध पर भी अशर पड़ रहा है।
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