क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

पंजाब-हरियाणा में कृषि बिल का विरोध, लेकिन यूपी के किसान चुप क्यों? जानिए कड़वी सच्चाई

Google Oneindia News

नई दिल्ली। कृषि क्षेत्र से जुड़े अहम विधेयकों के लोकसभा और राज्यसभा में पारित होने के बाद से पंजाब और हरियाणा में जबर्दस्त विरोध देखा जा रहा है। खेती और कृषि उपज खरीद क्षेत्र को बड़े निजी खिलाड़ियों के लिए खोलने पर एक राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई है। इस बीच हरियाणा और पंजाब के किसानों के विपरीत देश के सबसे बड़े खाद्यान्न और सब्जी उत्पादक राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश के किसान कृषि विधेयकों को लेकर कशमकश में दिखाई दे रहे हैं।

यूपी के किसानों की कड़वी सच्चाई

यूपी के किसानों की कड़वी सच्चाई

न्यूज 18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसका एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि संसद द्वारा मंजूरी मिलने वाले कृषि बिलों को लेकर यूपी के किसानों में संदेह है। इसके अलावा एक वजह यह भी बताई जा रही है कि सरकार द्वारा नियंत्रित मंडियों और बिचौलियों या खुले बाजार के एजेंटों द्वारा शोषण यूपी के किसानों के लिए एक मौजूदा कड़वी सच्चाई है। हालांकि, ऐसे समय में जब केंद्र और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी किसानों को यह समझाने की कोशिश कर रही है कि सरकारी मंडियों का अस्तित्व बना रहेगा। लेकिन उत्तर प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और खरीद प्रणाली पहले से ही कई लोगों की समस्या का कारण बनी हुई है।

Recommended Video

Agriculture Bill 2020 : किसान बिल के विरोध में Punjab में 'रेल रोको' आंदोलन शुरु | वनइंडिया हिंदी
फसलों पर नहीं मिलता एमएसपी

फसलों पर नहीं मिलता एमएसपी

ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकारी खरीद कभी भी कुल फसल की पैदावार के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होती है और अधिकांश किसानों को कभी भी अपनी फसलों पर एमएसपी नहीं मिलता है। यूपी की जमीनी हकीकत ये है कि किसान को सरकारी मंडी और खुले बाजार दोनों ही जगह पर मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, दोनों ही जगह पर बड़े व्यापारी छोटे और गरीब किसान का शोषण करते हैं। देश में किसानों के पास औसत खेती की जमीन की बात करें तो यह प्रति किसान 1.15 हेक्टअर है, लेकिन यूपी के 80 फीसदी किसानों के पास इससे कम जमीन है, लिहाजा उन्हें इन विधेयकों से कोई खास लाभ या हानि नहीं होगी, बल्कि उन्हें पहले की ही तरह बड़े व्यापारियों का शोषण झेलना पड़ेगा।

राज्य सरकार ने किसानों से खरीदा कम अनाज

राज्य सरकार ने किसानों से खरीदा कम अनाज

पहला स्पष्ट सवाल यह है कि हरियाणा, पंजाब और यहां तक ​​कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों के विपरीत, सरकारी मंडी और खरीद प्रणाली उत्तर प्रदेश में इतनी अक्षम क्यों है। यह जानकार हमें हैरान नहीं होना चाहिए कि चाहिए कि इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा गेहूं की खरीद सिर्फ 36 लाख मीट्रिक टन थी, जो कि 55 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य से काफी नीचे थी। राज्य ने रिकॉर्ड 385 मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन किया इसके बावजूद इस तरह की कम खरीद हुई है।

यह भी पढ़ें: किसान के दरवाजे पर आएंगे व्यापारी, अपनी मर्जी के दाम पर बेच सकेंगे फसल: कृषि मंत्री

Comments
English summary
Opposition of Agriculture Bill in Punjab-Haryana but why farmers of UP keep quiet Know the reason
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X