पाक आर्मी चीफ बाजवा को एक्सटेंशन देने का पाकिस्तानी सेना में विरोध, 7 जनरलों ने चीफ जस्टिस से मिलकर रोका रास्ता
नई दिल्ली- पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ाने की इमरान खान सरकार की चाल फिलहाल नाकाम रही है। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने इमरान सरकार के इस फैसले पर रोक लगाते हुए एक्सटेंशन की मियाद फिलहाल के लिए 6 महीने के लिए ही सीमित कर दी है। इसको लेकर पाकिस्तान के हुक्कमरान अपनी जुडीशरी पर भारत के एजेंट की तरह बर्ताव करने का भी आरोप लगा चुके हैं। लेकिन, अब यह खुलासा हुआ है कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से इमरान और जनरल बाजवा के मंसूबों पर पानी फेरा है, उसके पीछे दरअसल पाकिस्तानी सेना के सात-सात जनरलों और अगले महीने रिटायर हो रहे है पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा का रोल है।
बाजवा के कार्यकाल विस्तार पर ऐसे लगी ब्रेक
रिटायरमेंट की उम्र के तीन साल बाद तक पाकिस्तानी सेना के जनरल बने रहने के कमर जावेद बाजवा की उम्मीदों पर फिलहाल पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट बड़ा झटका लगा चुका है। उनका कार्यकाल पिछले 29 नवंबर को ही समाप्त होना था और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब उन्हें सिर्फ 6 महीने का एक्सटेंशन मिला है। अगर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान उसके बाद भी उन्हें पाकिस्तानी आर्मी के जनरल बनाए रखना चाहते हैं तो उन्हें संसद से कानून पारित करना होगा। ईटी की एक खबर के मुताबिक इमरान और बाजवा की चालबाजियों पर यह नकेल बाजवा के सात मातहत जनरलों और पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस आसिफ सईद खोसा के बीच आपसी तालमेल की वजह से कसी जा सकी है। खास बात ये है कि इन सातों पाकिस्तानी जनरलों में दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में डिफेंस अटैची रह चुके एक जनरल भी शामिल हैं।
बाजवा से इसलिए परेशान हैं सात लेफ्टिनेंट जनरल
बाजवा को सेवा विस्तार दिए जाने का ये जनरल इसलिए विरोध कर रहे हैं, क्योंकि इसके चलते उनके पाकिस्तानी सेना प्रमुख बनने की उम्मीदों पर हमेशा-हमेशा के लिए पानी फिर सकता है। बाजवा को एक्सटेंशन देने के फैसले से असंतुष्ट जनरलों की लिस्ट में मुल्तान के कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज सत्तार भी शामिल हैं, जो आर्मी चीफ बनने वालों की कतार में सबसे सीनियर हैं। दिलचस्प बात ये है कि यही वह पाकिस्तानी लेफ्टिनेंट जनरल हैं, जिन्होंने भारत के पाकिस्तानी हाई कमीशन में डिफेंस अटैची की भूमिका भी निभा चुके हैं। इसके अलावा असंतुष्टों में लेफ्टिनेंट जनरल नदीम रजा, लेफ्टिनेंट जनरल हुमायूं अजीज, लेफ्टिनेंट जनरल नईम अशरफ, लेफ्टिनेंट जनरल शेर अफगान और लेफ्टिनेंट जनरल काजी इकराम का नाम भी शामिल हैं। वहीं, बाजवा के बाद वरिष्ठता सूची में शामिल लेफ्टिनेंट जनरल बिलाल अकबर सातवें स्थान पर हैं। हालांकि, इन सातों में सब ने सार्वजनिक तौर पर बाजवा को एक्सटेंशन दिए जाने का कभी विरोध नहीं किया है। लेकिन, वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर रहे सत्तार पद पर बने रहने के लिए सिस्टम को अपने हिसाब से तोड़ने-मरोड़ने की बाजवा की कोशिशों का विरोध कर चुके हैं और उन्होंने ही उनके सेवा विस्तार के खिलाफ चीफ जस्टिस के साथ गोलबंदी को आगे बढ़कर अंजाम दिया है।
लेफ्टिनेंट जनरल सत्तार की बाजवा से हुई थी तू-तू-मैं-मैं
जानकारी के मुताबिक जब लेफ्टिनेंट जनरल सत्तार की वरिष्ठता को दरकिनार कर दिया गया तब उन्होंने विरोध के तौर पर अपने पद इस्तीफा दे दिया। खबरों के मुताबिक कुछ हफ्ते पहले उन्होंने बाजवा पर पाकिस्तानी सेना की छवि बिगाड़ने का भी आरोप लगाया था, जिसके चलते उनकी बाजवा से तू-तू-मैं-मैं भी हो गई थी। क्योंकि, अगर 29 नवंबर को बाजवा रिटायर हो गए होते तो लेफ्टिनेंट जनरल सत्तार के ही आर्मी चीफ बनने की संभावना थी। सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी सेना के एक और पूर्व आर्मी चीफ जनरल (रिटायर्ड) राहील शरीफ ने भी इस पोस्ट के लिए उनका ही नाम आगे किया था। नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजरी बोर्ड के सदस्य और पाकिस्तान पर तीन किताब लिखने वाले तिलक देवाशेर के मुताबिक, 'पाकिस्तानी सेना में मतभेद के दो संकेत हैं, एक तो बाजवा को एक्सटेंशन दिए जाने के पीछे पाकिस्तानी सेना में कोई मजबूत लॉबी काम कर रहा है और दूसरा तीन साल के सेवा विस्तार की वजह से करीब 24 लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर हो जाएंगे। अगर एक्सटेंशन नहीं दिया जाता तो उनमें से कुछ आर्मी चीफ के दावेदार हैं। '
बाजवा की वजह से पाकिस्तान में संस्थाओं के बीच टकराव
पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने वाले अली सलमान अंदानी के मुताबिक, 'अगर बाजवा को तीन साल का एक्सटेंशन मिल जाता है तो ज्यादा सीनियर जनरलों को आर्मी चीफ के पद तक पहुंचने का मौका नहीं मिलेगा। अगले महीने रिटायर हो रहे चीफ जस्टिस खोसा भी इस खेल में शामिल हैं। बाजवा का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाकर उन्होंनें विधायी प्रक्रिया के जरिए व्यवस्था में हेरफेर का एक मौका दे दिया है। अब उन्होंने संसद के सदन में ग्रेनेड फेंक दिया है। बाजवा गॉड है, लेकिन पाकिस्तान में ऐसे कई गॉड हैं। ' यानि हालात ऐसे बन चुके हैं कि आने वाले दिनों में भारत के खिलाफ प्रॉक्सी वॉर लड़ने की आदी पाकिस्तानी की वजह से वहां की सरकार और जुडीशरी सहित विभिन्न संस्थाओं में ही दबदबे की लड़ाई शुरू होने की आशंका पैदा होने लगी है।