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Gujarat election 2017: नतीजा तो तय हो चुका है, ओपिनियन पोल नहीं बता पा रहे सच

By अमिताभ श्रीवास्तव, वरिष्ठ पत्रकार
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opinion poll

नई दिल्ली। गुजरात चुनाव पर अभी तक जितने ओपनियन पोल आए हैं, उनमें एकता बिलकुल नजर नहीं आ रही है। कोई कांटे की टक्कर बता रहा है तो कोई दो तिहाई बहुमत से बीजेपी की सरकार बनवा रहा है तो कोई बराबर का मत प्रतिशत का आकलन कर रहा है। सर्वे में जो फैक्टर तय किए गए हैं उनमें भी मतभिन्नता है। यदि एकता नजर आ रही है तो केवल नतीजे में, वो ये है कि बीजेपी की सरकार बन रही है।

ओपिनियन पोल में माना गया है कि हार्दिक पटेल कोई मुद्दा नहीं

ओपिनियन पोल में माना गया है कि हार्दिक पटेल कोई मुद्दा नहीं

आज तक, एबीपी, इंडिया टीवी, न्यूज नेशन ने गुजरात में जनता की नब्ज पहचानने की कोशिश की है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रहा है एबीपी का ओपिनियन पोल। इसकी वजह ये है कि सारे सर्वे अभी तक बीजेपी के पक्ष में रहे हैं और इन सर्वे में सारे वो फैक्टर बेअसर दिखाई दे रहे हैं जिन्हें कांग्रेस ने उठाया है। इनमें सबसे बड़ा मुद्दा पाटीदार समाज है। हर ओपिनियन पोल में माना गया है कि हार्दिक पटेल कोई मुद्दा नहीं। भले ही उनकी सभाओं में लाखों की भीड़ उमड़े लेकिन जब वोट की बात हो रही है तो पाटीदार बीजेपी के पक्ष में जा रहा है। यहीं समझ में नहीं आ रहा है कि जब पाटीदार समाज बीजेपी को वोट देना चाहता है तो फिर हार्दिक पटेल का साथ कौन दे रहा है या फिर उनकी रैलियों में भीड़ कहां से जुट रही है। यदि पाटीदार समाज हार्दिक पटेल को नेता नहीं मानता है तो फिर उनके खिलाफ समाज वो बगावती तेवर क्यों नहीं दिखा रहा, जिसके लिए समाज जाना जाता है।

सबसे कम उम्र में राजनीति में एंट्री लेने वाले नेता हार्दिक

सबसे कम उम्र में राजनीति में एंट्री लेने वाले नेता हार्दिक

हार्दिक पटेल एक ऐसा उदाहरण है जिसने सबसे कम उम्र में राजनीति में एंट्री ही नहीं ली बल्कि पूरे देश की सुर्खियों में छा गया। आजादी के बाद ये पहला उदाहरण है जो सबसे कम समय में और सबसे कम उम्र में किसी राज्य के चुनाव का फैक्टर बना हो। अब सर्वे में उसका कोई असर नहीं रहा है तो ताज्जुब होता है। जैसा उसके नेता बनने से ताज्जुब हुआ है वैसा ही उसके असर न होने का ताज्जुब हो रहा है।

एक कॉलोनी मे रहने वाले लोग तय नहीं करेंगे राज्य की राजनीति

एक कॉलोनी मे रहने वाले लोग तय नहीं करेंगे राज्य की राजनीति

जो ओपिनियन पोल कर रहे हैं, वो मीडिया से जुड़े नहीं है, वो अलग विधा है, डाटा पर आधारित है। अब बहस यहां भी है कि डाटा कैसे बनता है, डाटा हम बनाते हैं, हमारे जरिए बनता है। यानि वोटर जो कहेगा, वही सही माना जाएगा, उसके बाद जो औसत निकलेगा वहीं नतीजा निकलेगा। तीन से पांच हजार लोग किसी भी शहर के एक कॉलोनी में रहते हैं। वो ये तय नहीं कर सकते हैं कि राज्य क्या सोच रहा है। राज्य जो सोच रहा है, वो भी सरकार नहीं बनाता, जो वोट डालता है, वो सरकार बनाता है। तो जो वोट डाल रहा है, वही तय करेगा कि किसकी सरकार बनेगी। जो वोटर हैं, वो भी जरूरी नहीं कि ऐन वक्त पर वोट डाल पाएं। जो वोट डालेगा वहीं निर्णायक है। पहली बार ऐसा लग रहा है कि मीडिया खुद भ्रमित हो रही है और ओपिनियन पोल भी, लेकिन वोटर भ्रमित नहीं होता, वो बहुत पहले से वोट पक्का कर बैठता है, ये बात अलग है कि वोट डालने के बाद बताएगा नहीं कि किसको दिया है।

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English summary
opinion poll of gujarat election 2017 bjp congress hardik patel rahul gandhi, narendra modi
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