'ऑपरेशन बंदर' कोडनेम के साथ IAF ने की थी बालाकोट पर एयर स्ट्राइक, जानिए क्यों चुना गया था यह नाम
नई दिल्ली। 26 फरवरी को इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) के 12 मिराज-2000 फाइटर जेट्स बालाकोट में दाखिल हुए। इन जेट्स ने जैश-ए-मोहम्मद के कैंप्स को निशाना बनाया था। इस पूरे ऑपरेशन को आईएएफ ने 'ऑपरेशन बंदर' नाम दिया था। आईएएफ का मकसद इस कोड नेम के जरिए ऑपरेशन को लेकर पूरी तरह से गोपनियता बरतना था। रक्षा सूत्रों की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है।
कोडनेम की वजह हनुमान जी
सूत्रों ने बताया, 'ऑपरेशन की गोपनियता को बरकरार रखने और इस बात को सुनिश्चित करने के लिए कि योजना का पता किसी को न लग सके, बालाकोट ऑपरेशन को ऑपरेशन बंदर कोडनेम दिया गया था।' सूत्रों ने हालांकि इस पूरी योजना के पीछे की वजहों पर विस्तार से जानकारी देने से इनकार कर दिया। उन्होंने बस इतना ही कहा कि बंदरों का भारत की युद्ध संस्कृति में अहम स्थान रहा है। रामायण में भगवान राम के सेनापति महाबलि हनुमान थे जो लंका में दाखिल हुए और फिर उन्होंने उसे पूरी तरह से जलाकर खाक कर दिया था।
क्या हुआ था 26 फरवरी को
26 फरवरी को आईएएफ के 12 मिराज जेट्स ने देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित एयरबेस से टेक ऑफ किया था। एलओसी पार कर जेट्स पाकिस्तान में दाखिल हुए। बालाकोट पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में स्थित है। हमलों में आईएएफ के पायलट्स ने पांच स्पाइस 2000 बमों को गिराया था। इन बमों की वजह से उन बिल्डिंग्स को खासा नुकसान हुआ था जिनमें आतंकी सो रहे थे। रात करीब 3:30 बजे आईएएफ के 12 जेट्स केपीके प्रांत में दाखिल हुए और यहां पर उन्होंने हमले शुरू किए।
21 मिनट तक बरसे बम
21 मिनट के अंदर मिराज 2000, लेसर गाइडेड बम, मैट्रा मैजिक क्लोज कॉम्बेट मिसाइल, लाइटनिंग पॉड, नेत्रा एयरबॉर्न वॉर्निंग जेट्स, आईएल 78 एम, हेरॉन ड्रोन की मदद से बालाकोट में हमले किए। हमला करने के बाद आईएएफ के जेट्स अपने-अपने बेसेज पर सुरक्षित वापस लौट गए थे। जो एयरक्राफ्ट इस ऑपरेशन में प्रयोग हुए वे स्क्वाड्रन नंबर सात और नौ से थे। इस ऑपरेशन में उन मिराज जेट्स का प्रयोग हुआ था जो अपग्रेडेड नहीं थे क्यों कि अपग्रेडेड मिराज में हवा से जमीन पर मार सकने की क्षमता नहीं है।
कमांडोज भी थे रेडी
इस ऑपरेशन में इंडियन एयरफोर्स ने सुखोई-30एमकेआई और मिग-21 को भी शामिल किया था। सुखोई और मिग-21 भी ऑपरेशन में थे लेकिन उन्होंने एलओसी पार नहीं की थी। इन फाइटर जेट्स को एयरफोर्स ने प्लान बी के तहत रेडी रखा था। सुखोई फाइटर ने मिराज 2000 को कवर दिया था। एयरफोर्स ने सरकार को जानकारी दी थी कि 80 प्रतिशत बम अपने सही निशाने पर लगे हैं। एयरफोर्स ने गरूड़ कमांडोज की टीम को भी स्टैंड बाई पर रखा था ताकि इमरजेंसी की स्थिति में उनकी मदद ली जा सके। आईएएफ की ओर से उन पायलट्स को पुरस्कार देने की योजना बनाई जा रही है जिन्होंने इस एयर स्ट्राइक को सफलता पूर्वक अंजाम दिया।