CAPF कैंटीन में सिर्फ 'स्वदेशी' उत्पाद ही बेचा जाएगा, MHA ने कहा फैसले पर कायम
नई दिल्ली- केंद्रीय गृहमंत्रालय ने एक बार फिर से साफ किया है कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की कैंटीन में एक जून से सिर्फ स्वदेशी उत्पाद ही बिकेंगे और उसका फैसला पहले की तरह कायम है। दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में इसको लेकर भ्रम सामने आया था, जिसके बाद गृहमंत्रालय ने सभी असमंजस को दूर करने की कोशिश की है। गृहमंत्रालय ने कहा कि केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार को खरीदारी को रोकने के आदेश को लेकर कुछ मीडिया वालों को भ्रम हो गया है। बता दें कि केंद्रीय गृहमंत्रालय ने अपने आदेश में केंद्रीय सुरक्षा बलों की कैंटीन में सिर्फ स्वदेशी उत्पाद बेचने का ही फैसला किया था। इस बात की घोषणा खुद गृहमंत्री अमीत शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'वोकल फॉर लोकल' के नारे को साकार बनाने के लिए की थी।
सीएपीएफ कैंटीन में 'स्वदेशी' उत्पाद बेचने वाला आदेश कायम-गृह मंत्रालय
केंद्रीय गृहमंत्रालय ने केंद्रीय सुरक्षा बलों की कैंटीन में 1 जून से सिर्फ स्वदेशी सामान बेचने वाला आदेश वापस लिए जाने वाली खबरों का साफ खंडन कर दिया है। गृहमंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा है कि 'कुछ मीडिया रिपोर्ट केंद्रीय पुलिस कल्याण भंडार (KPKB) को खरीदारी रोकने के आदेश को लेकर भ्रम में हैं, और उसे देशभर की सीएपीएफ की कैंटीनों और स्टोरों पर सिर्फ भारत में बने उत्पाद बेचने के गृहमंत्रालय के फैसले से जोड़ रहे हैं। गृहमंत्रालय अभी भी फैसले पर कायम है।' बता दें कि गृह मंत्रालय ने 13 मई को ही स्वदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए 1 जून से इन कैंटींस में सिर्फ स्वदेशी उत्पाद बेचने की घोषणा की थी और दो दिन बाद ही उसको लेकर आदेश भी जारी कर दिया था। खुद गृहमंत्री अमित शाह के ऐलान के बाद 15 मई को इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया गया था। लेकिन, फिर भी मीडिया में इसको लेकर भ्रम की स्थिति पैदा हुई।
पीएम की अपील पर गृहमंत्री ने की थी घोषणा
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पिछले राष्ट्र के नाम संबोधन में जो आत्म निर्भर भारत अभियान की घोषणा की थी, उसी दौरान उन्होंने 'वोकल फॉर लोकल' का भी नारा दिया था। इसी के मद्देनजर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील को ध्यान में रखते हुए आत्म निर्भर भारत के मकसद से उनका मंत्रालय सीपीसी की सभी कैंटीन में स्वदेशी उत्पाद ही बेचने का फैसला कर रहा है। पीएम मोदी ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर बने वैश्विक हालातों को देखते हुए भारत को अपने बल पर सक्षम होने का अभियान शुरू किया है। गृहमंत्रालय के अधीन ये कैंटीन सीआरपीएफ, बीएसएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और एनएसजी की ओर से संचालित किए जाते हैं।
स्वदेशी को मिलेगा सम्मान
बता दें कि केंद्रीय सुरक्षा बलों की कैंटीन करीब 50 लाख केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों-अफसरों और उनके परिवार वालों को घरेलू सामान मुहैया कराता है। उम्मीद है कि इतने बड़े पैमाने पर सिर्फ भारत में बने सामानों की ही बिक्री से घरेलू उद्योगों को बहुत ज्यादा बढ़ावा मिल सकता है। इसके माध्यम से रोजगार भी बढ़ने के आसार बताए जा रहे हैं और मौजूदा परिस्थितियों में यह देश की अर्थव्यवस्था को भी गति देने वाला फैसला माना जा रहा है।
|
हजारों करोड़ रुपये का है सालाना कारोबार
देशभर में 1,700 से ज्यादा सेंट्रल पुलिस कैंटीन (CPCs) नेटवर्क है, जहां ग्रोसरी से लेकर कपड़े, गिफ्ट के सामान और वाहन तक उपलब्ध होते हैं। लेकिन, इन कैंटीनों में शराब नही मिलती, जिसे बाहर से खरीदा जाता है या फिर सेना के कैंटीन से मंगवाई जाती है। सेंट्रल पुलिस कैंटीन का सालाना कारोबार 2,800 करोड़ रुपये का है। यह नेटवर्क 2006 में शुरू किया गया था, जिसमें 119 से ज्यादा मास्टर कैंटीन हैं और उसकी 1,625 सहायक कैंटीन हैं। इसी तरह केंद्रीय सुरक्षा बलों के भी कैंटीन हैं, जो देश भर में उन स्थानों पर चलते हैं, जहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती होती है। ये कैंटीन सीमा से लेकर नक्सली इलाकों और उपद्रवग्रस्त इलाकों में भी मौजद हैं।
इसे भी पढ़ें- 1 जून से चलेंगी दुरंतो, संपर्क क्रांति जैसी 200 ट्रेनें, देखें पूरी लिस्ट