जानिए कब लगाए डॉ.कलाम ने सूर्य के 83 चक्कर
बैॆगलोर। भारतीयों के चहेते पूर्व राष्ट्रपति और करोड़ों भारतीयों के प्रेरणास्त्रोत डॉ. कलाम बुधवार, 15 अक्टूबर को 83 साल के हो गए। उनकी भाषा में कहें तो वे सूर्य की 84वीं कक्षा में प्रवेश कर गए। पूर्व राष्ट्रपति के जीवन में कोई परिवर्तन नहीं आया है।
डॉ.
कलाम
ने
कहा
-
मैं
1
बजे
रात
तक
अपने
मेल
पढ़ता
हूं
और
उनका
जवाब
देता
हूं।
अपने
निवास
पर
आए
मेहमानों
से
जन्मदिन
की
बधाइयां
लेने
में
व्यस्त
डॉ.
कलाम
ने
वन
इंडिया
को
एक्सलूसिव
इंटरव्यू
दिया।
आप
भी
पढ़िए
इस
इंटरव्यू
के
मुख्य
अंश-
युवाओं
को
संदेश
मेरे
लिए
जीवन
का
हर
दिन
बहुत
ज़रूरी
है।
हर
1
जनवरी
को
मैं
उस
पूरे
वर्ष
का
खाका
बनाता
हूं
और
काम
में
जुट
जाता
हूं।
मेरे
टार्गेट
का
60
से
70
प्रतिशत
मैं
अचीव
करता
हूं।
तो
देखा
जाए
तो
मैं
हमेशा
काम
करता
हू,
मेरा
मिशन
कभी
खत्म
नहीं
होता।
जीवन
में
की
थी
भूल
अपने
जीवन
में
हुई
किसी
भूल
पर
डॉ.
कलाम
ने
तुरंत
बोला
कि
मुझे
भारतीय
वायु
सेना
न
जॉइन
करने
पर
खेद
है।
इसके
अलावा
मिसाइल
मैन
ने
राष्ट्रपति
भवन
में
सोलर
प्लांट
न
लगा
पाने
पर
भी
अफसोस
जताया।
उन्होंने
बताया
कि
योजना
पर
आखिरी
वक्त
पर
पर्यावरण
विशेषज्ञों
ने
आपत्ति
जताई।
उनका
मानना
था
कि
इससे
मुग़ल
गार्डन
को
नुकसान
होगा।
मैंने
उन्हें
संतुष्ट
करने
के
लिए
जवाब
तैयार
किए
पर
तब
तक
मेरा
कार्यकाल
समाप्त
हो
गया।
अब
तक
क्यों
नहीं
की
शादी
यह
सवाल
डॉ.
कलाम
से
सिंगापुर
में
एक
विद्यार्थी
ने
किया
था।
फिर
से
वही
सवाल
पूछे
जाने
पर
कलाम
ने
हंसते
हुए
जवाब
दिया
-
यह
सवाल
भी
अपना
50वां
जन्मदिन
मना
रहा
है
शायद।
मैं
एक
बहुत
बड़ी
जॉइन्ट
फैमिली
में
रहता
हूं
और
वहां
मेरे
भाई
की
चार
पीढ़ियां
रहती
हैं।
मुझे
कभी
एक
जीवनसाथी
की
कमी
नहीं
खली।
युवा
शक्ति
का
नेतृत्व
पिछले
दो
दशकों
में
मैं
भारत
के
करीब
सवा
करोड़
विद्यार्थियों
से
मिला।
ये
सब
भारत
का
युवा
भविष्य
हैं।
उनमें
तर्क
है,
शक्ति
है,
उत्साह
है
आगे
बढ़ने
का।
मुझे
हर
उस
युवा
पर
गर्व
है
जिसने
मुझसे
पूछा
कि
वह
भारत
को
विकसित
कैसे
करे।
विकसित
भारत
का
सपना
भारत
को
2020
तक
विकसित
करने
के
अपने
सपने
पर
डॉ.कलाम
ने
कहा
कि
सब
साथ
मिलकर
ही
इस
लक्ष्य
को
पा
सकते
हैं।
हमें
तीन
चरणों
को
पूरा
करना
-
- ग्रामीण क्षेत्रों को पूरी तरह से विकसित करना
- किसानों के उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ाना
- घरेलू और लघु उद्योगों को बढ़ावा देना
युवाओं
को
समर्पित
की
एक
कविता
इंटरव्यू
के
अंत
में
डॉ.
कलाम
अपनी
एक
प्रिय
कविता
को
युवाओं
को
समर्पित
किया।
इस
कविता
का
शीर्षक
है
INDOMITABLE
SPIRIT
या
अदम्य
साहस।
इस
कविता
की
रचना
उन्होंने
28
अगस्त
को
दिल्ली
से
बेंगलुरू
की
फ्लाइट
में
लिखी
थी।
यह
कविता
जवाब
है
उन
सब
सवालों
का
जो
अक्सर
युवा
उनसे
पूछते
हैं।
डॉ.
कलाम
ने
कहा
कि
-
"मैं
चाहता
हूं
कि
यह
कविता
सभी
युवाओं
को
आत्मविश्वास
से
भरे
और
उनके
सारे
डर
और
संशय
दूर
हों।"