'एक देश- एक चुनाव' पर मोदी सरकार को लॉ कमीशन का जवाब, बिना संविधान संशोधन यह संभव नहीं
नई दिल्ली। 'एक देश-एक चुनाव' कराने को लेकर लॉ कमीशन ने मोदी सरकार से कहा है कि बिना संविधान में संशोधन किए यह संभव नहीं है। लेकिन ये भी बात सामने आ रही है कि लॉ कमीशन पैनल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के एक देश एक चुनाव का ना ही सपोर्ट किया है और ना ही विरोध किया है। बता दें कि रविवार को 'मन की बात' में पीएम मोदी ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर बात करते हुए कहा था कि इस संबंध में विचार किया जा रहा है।
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक लॉ कमीशन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि पैनल रिपोर्ट कहती है कि जब तक संसद संविधान के अनुच्छेद 83 (2) और 172 में संशोधन नहीं करती है, तब तक पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव कराना मूल सिद्धांत का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल पांच साल से अधिक नहीं नहीं हो सकता है।
पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक यह बात तो लगभग साफ हो गई है कि एक राष्ट्र, एक चुनाव जिसे 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने इसे कराने पर जोर दिया है, वो संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत और संशोधन के बिना संभव नहीं है। इसके साथ-साथ कानून में संशोधन के लिए कम से कम आधे राज्यों की मंजूरी भी जरूरी होगी।
संविधान
संशोधन
हुआ
तो
सरकारों
के
कार्यकाल
आगे
बढ़
सकते
हैं
अधिकारी
ने
कहा
है
कि
केंद्र
और
राज्यों
के
चुनाव
को
एक
साथ
कराने
के
लिए
संविधान
में
संशोधन
करने
की
जरूरत
है।
क्योंकि
इसके
बिना
एक
देश,
एक
चुनाव
संभव
नही
है।
यदि
संशोधन
लाया
जाता
है
तो
राष्ट्रपित
शासन
लागू
किए
बिना
सरकार
के
कार्यकाल
को
अगर
विस्तारित
किया
जाता
है
तो
वो
अवैध
नहीं
होगा।
उदाहरण
के
लिए
यदि
संसद
में
कानून
पास
होता
है
तो
इस
साल
के
अंत
में
मध्य
प्रदेश,
राजस्थान,
छत्तीसगढ़
और
मिजोरम
में
होने
विधानसभा
चुनाव
को
स्थगित
किया
जा
सकता
है
और
2019
में
होने
वाले
लोकसभा
चुनाव
के
साथ
कराया
जा
सकता
है।
लेकिन
ऐसा
तभी
होगा
जब
संविधान
में
संशोधन
किया
जाएगा।
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