लॉकडाउन के दौरान सड़क हादसों में 198 प्रवासी श्रमिकों की हुई मौत: रिपोर्ट
नई दिल्ली। सड़क सुरक्षा एनजीओ, सेवलाइफ फाउंडेशन द्वारा इकट्ठे किए गए आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन अवधि के दौरान सड़क दुर्घटनाओं में एक सौ नब्बे से अधिक प्रवासी श्रमिकों ने अपनी जान गंवाई है। 25 मार्च से 31 मई तक राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के दौरान कम से कम 1,461 दुर्घटनाएं हुईं, जिसमें 198 प्रवासी श्रमिकों सहित कम से कम 750 लोग मारे गए थे। वहीं लगभग 1,390 लोग घायल हुए।
लॉकडाउन के समय घर वापस जाने के अपने प्रयासों के दौरान 26.4% प्रवासी श्रमिकों की एक्सीडेंट में मौत हो गई। इस दौरान 5.3 लोग आवश्यक सेवाओं की डिलीवरी के दौरान मारे गए , वाकी 68.3 प्रतिशत मौतें अन्य सड़क हादसों में हुईं। इस दौरान अधिकतर मौतें बस और ट्रक ड्राइवरों को हुई थकान के चलते हुईं, जिन्हें इन प्रवासियों ने अपने घर जाने के लिए किराए पर लिया था। इसके अलावा ओवर स्पीड और खराब रोड इंजीनियरिंग भी इन मौतों का कारण हैं।
दर्ज मौतों में से केवल 30 फीसदी (245) मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं। तेलंगाना में 56, मध्य प्रदेश में 56, बिहार में 43, पंजाब में38 और महाराष्ट्र में 36 लोगों की मौत हुई। इस दुर्घटनाओं में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश के 94 लोगों मरे। इसके बाद मध्य प्रदेश के 38, बिहार के16, तेलंगाना के11 और महाराष्ट्र के 9 हैं। विश्लेषण से पता चलता है कि लगभग 27% पीड़ित प्रवासी श्रमिक थे जबकि 5% पुलिस, डॉक्टर और अन्य जैसे आवश्यक कार्यकर्ता थे। कुल मौतों में लगभग 68% पैदल चलने वाले, दोपहिया और तिपहिया वाहनों पर यात्रा कर रहे थे। जिन्हें वल्नरेबल रोड यूज़र्स (वीआरयू) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
लॉकडाउन के चौथा चरण में सड़क हादसों में 322 लोगों की मौत हुई जो कुल मौतों का 42 फीसदी है। सड़क हादसों के लिहाज से तीसरा चरण सबसे अधिक घातक रहा। इस चरण सबसे अधिक 60 फीसदी मौतें हुईं।
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