प्रज्ञा ठाकुर का संगीन आरोप, कांग्रेस शासन में दी गई यातनाओं के चलते खोई एक आंख की रोशनी
नई दिल्ली। भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की लोकसभा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपने स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का जिम्मेदार कांग्रेस को ठहराते हुए पार्टी बड़ा आरोप लगाया है। रविवार को उन्होंने अपने एक बयान में कहा, कांग्रेस राज में दी गई यातनाओं के कारण उनकी एक आंख की रोशनी चली गई थी। अपनी सेहत के बार में बताते हुए उन्होंने कहा कि पूर्व यूपीए सरकार में उनको शारीरिक यातनाएं दी गई, उनके साथ मारपीट की गई जिस वजह से उनकी आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई।
बाईं आंख से बिल्कुल भी नहीं दिखाई देता
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, कांग्रेस राज में उनके साथ मारपीट के दौरान रेटिना से लेकर दिमाग तक सुजन आ गया था, अंदर मवाद भर गया था। प्रज्ञा ठाकुर ने यह बयान मध्य प्रदेश के भोपाल स्थित भाजपा मुख्यालय में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कार्यक्रम में भाग लेने के दौरान दिया है। उन्होंने कहा, मैंने नौ साल तक कांग्रेस की यातनाएं सही, इस दौरान मुझे शरीर पर कई जगह जख्म आए। मेरी आंखों से लेकर मस्तिष्क में मवाद और सूजन आ गया था, इस वजह से मुझे आज भी दाईं आंख से धुंधला दिखता है और बाईं आंख से तो बिल्कुल भी नहीं दिखाई देता।
लॉकडाउन के चलते दिल्ली में फंसी थी: प्रज्ञा
बता दें कि साल 2008 में मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी रहीं साध्वी प्रज्ञा सिंह ने कांग्रेस पर जेल में रहने के दौरान उत्पीड़न का आरोप लगाया है। अपने संसदीय क्षेत्र भोपाल में उनके लापता पोस्टरों पर सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण यात्रा प्रतिबंधों के चलते वह दिल्ली से भोपाल नहीं लौट सकी थीं। इसीलिए कोरोना वायरस के संक्रमण के संकट के दौरान लंबे समय तक वह अपने संसदीय क्षेत्र में नहीं दिखी थीं। उन्होंने कहा, लॉकडाउन में यात्रा पर प्रतिबंध के चलते मेरे स्टाफ, सुरक्षाकर्मी और मुझे खुद समय पर टिकट नहीं मिल सका था।
कांग्रेस ने किया पलटवार
प्रज्ञा ठाकुर के इस दावे पर कांग्रेस विधायक और राज्य के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ तो उस समय प्रज्ञा भोपाल में ही थीं और बाद में एक छोटी बीमारी के इलाज के लिए दिल्ली रवाना हो गई थीं। कांग्रेस शासन में उत्पीड़न के आरोपो पर पीसी शर्मा ने कहा, हम महिलाओं का सम्मान करते हैं, कांग्रेस उनका उत्पीड़न आखिर कैसे कर सकती है। जबकि उस समय मध्य प्रदेश में 15 साल तक बीजेपी की सरकार थी।
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