टीडीपी के हर मंच से गायब रही बीएसपी, आखिर क्यों चंद्रबाबू नायडू से दूर हो रहीं मायावती
नई दिल्ली। भूख हड़ताल करने वाले आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष के नेताओं को एकजुट करने में लगे हुए हैं। लेकिन चंद्रबाबू नायडू के भूख हड़ताल में बसपा प्रमुख मायावती की अनुपस्थिति ने राजनीतिक रूप से संकेत दिया है कि ये दोनों एक मंच पर नहीं आ सकते हैं लेकिन सूत्रों की माने तो विरोध प्रदर्शन में शामिल होने के लिए टीडीपी ने बीएसपी को भी आमंत्रित किया था। पिछले कुछ महीनों ने नायडू ने कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने भरपूर प्रयास किया है और कई नेता एक साथ आए भी हैं ताकि केंद्र की सत्ता से बीजेपी को उखाड़ फेका जाए।
इन पार्टी के नेताओं ने नायडू का किया समर्थन
सोमवार को विपक्षी राजनीतिक दलों के पास एक और मौका था जब वे आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जे की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे चंद्रबाबू नायडू के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे थे। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी के डेरेन ओ ब्रायन और आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, शरद पवार, सपा के मुलायम सिंह, शिवसेना के संजय राउत समेत कई नेता शामिल हुए लेकिन बीएसपी ने इससे दूरी बनाई रखी।
मायावती तो दूर, पार्टी से भी नहीं पहुंचा कोई
बीएसपी की ओर से मायावती तो दूर की बात हैं पार्टी का कोई नेता धरना स्थल पर नहीं गया। हालांकि आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है जब मायावती ने नायडू को नजरअंदाज किया है। मायावती और नायडू के बीच पिछले साल 27 अक्टूबर को मुलाकात हुई थी। जहां उन्होंने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में गठबंधन के प्रति कांग्रेस के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की थी। यहां तक बसपा ने कांग्रेस के बीच किसी भी गठबंधन पर गंभीर चिंता जताई थी। बीएसपी का मानना है कि नायडू कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी हैं, जो दोनों पार्टियों को करीब ला सकते हैं, लेकिन मायावती को कुछ पसंद नहीं था। नायडू ने पिछले साल 10 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने से एक दिन पहले विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक की लेकिन बसपा और सपा दोनों ने इससे दूरी बनाई रखी।
बीएसपी की दूरी पर क्या बोले नायडू
हालांकि तब यह सोचा गया कि हो सकता है मायावती चुनाव नतीजें घोषित होने का इंतजार कर रही हो इसलिए वो बैठक में शामिल नहीं हुईं। विपक्ष के लिए चिंता की बात यह है कि बसपा अन्य दोनों की ओर से आयोजित बैठकों में भाग ले रही है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित रैली है, जिसमें बीएसपी की ओर से सांसद सतीश चंद्र मिश्रा शामिल हुए थे। इसके बाद 1 फरवरी को दिल्ली में कांग्रेस की ओर से आयोजित सेव द नेशन, सेव द डेमोक्रेसी की बैठकों में भी बीएसपी ने हिस्सा लिया था। हालांकि बीएसकी के साथ दूरी पर चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हमारे बीच कम्यूनिकेशन गैप हो सकता है लेकिन हमारे बीच किसी प्रकार की समस्या नहीं है, हम राष्ट्रित हित के लिए इस विषय पर चर्चा करेंगे।