लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों और छात्रों के मुद्दे पर चौतरफा घिरे बिहार CM नीतीश कुमार
नई दिल्ली। लॉकडाउन के बीच कोटा में फंसे बिहारी छात्रों और विभिन्न राज्यों में फंसे प्रवासी कामगारों का मुद्दा बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गले का फांस बनता जा रहा है। यह मुद्दा खासकर तब और गंभीर हो गया जब उनके समकक्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लॉकडाउन संकट में निपटने में सफलता हासिल की है।
माना जा रहा है कि तभी से बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार को चौतरफा आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, जिससे नीतीश के शक्तिशाली प्रशासन प्रदान करने वाली छवि भी अब सवालों के घेरे में आ गई है, क्योंकि अक्सर संकट को राजनीतिक लाभों में मोड़ देने के लिए मशहूर नीतीश कुमार फेल होते दिख रहे हैं और वह भी तब सिर पर बिहार विधानसभा का चुनाव है।
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गौरतलब है पिछले तीन वर्षों में यह संभवत: चौथी बार है जब कुमार को संपर्क रहित होने के कारण लोगों के क्रोध का सामना करना पड़ा है। इससे पहले मुजफ्फरपुर आश्रय गृह प्रकरण और इंसेफेलाइटिस बीमारी में हुई बच्चों की मौतों से लेकर पटना बाढ़ प्रभावितों तक नीतीश की छवि धूमिल हुई थी, लेकिन अब कोरोनावायरस संकट से प्रेरित लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों को संकट से बाहर निकालने के मुद्दे पर नीतीश की छवि पर बड़ा धक्का लगा है।
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योगी सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों से हुई नीतीश की फजीहत
बावजूद इसके सोमवार को आयोजित वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान सीएम नीतीश कुमार पीएम के साथ इस मुद्दे को उठाते हुए आपदा प्रबंधन अधिनियम के एक हिस्से को पढ़कर सुनाया, जिसमें कहा गया था कि कैसे राज्य छात्रों और श्रमिकों को परिवहन करके नियमों का उल्लंघन कर रहे थे। निः संदेह पड़ोसी राज्य यूपी सरकार द्वारा उठाए गए सक्रिय कदमों ने नीतीश कुमार को बैकफुट पर डाल दिया है।
सड़कों पर मजदूरों के पहुंचने पर नीतीश ने योगी को जिम्मेदार ठहराया था
याद कीजिए, लॉकडाउन के पहले कुछ दिनों के दौरान ही प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा सामने आया था जब भारी संख्या में प्रवासी मजदूर यूपी बॉर्ड पर नज़र आए थे। नीतीश कुमार ने तब लोगों को सड़कों पर लाने के लिए दिल्ली और यूपी के सीएम को जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन यह योगी आदित्यनाथ ही थे, जिन्होंने राज्य के लोगों को वापस लाने के लिए बसों की व्यवस्था की थी और महज 12 घंटे के भीतर भीड़ छंट गई थी।
बिहार सरकार ने राज्य के प्रवासियों को प्रदेश देना तक स्वीकार नहीं किया
जबकि बिहार सरकार ने राज्य के प्रवासियों को प्रदेश देना तक स्वीकार नहीं किया और उन्हें राज्य की सीमाओं के पास आइसोलेशन कैंप में रखने की कोशिश की थी और प्रत्येक फंसे हुए प्रवासी श्रमिक के खाते में 1,000 जमा करना शुरू कर दिया था ताकि वे अपने स्थानों पर बने रहें।
नीतीश कुमार को एक और बड़ा झटका तब लगा जब योगी आदित्यनाथ ने..
नीतीश कुमार के लिए एक और बड़ा झटका तब लगा जब योगी आदित्यनाथ ने फंसे यूपी के छात्रों को वापस लाने के लिए सैंकड़ों बसों को कोटा भेज दिया। कुमार ने तब भी आपत्ति जताते हुए कहा था कि उक्त कार्रवाई ने लॉकडाउन के उद्देश्य को हरा दिया है।
MP व छत्तीसगढ़ ने भी बसें कोटा भेजी, लगा नीतीश के फैसले को झटका
हालांकि यूपी के बाद एमपी और छत्तीसगढ़ ने भी कोटा से छात्रों को वापस लाने के लिए बसें भेजी थीं। यानी प्रवासी कामगारों को वापस लाने वाला यूपी फिर से पहला राज्य बन गया, जिसका पालन अन्य राज्यों ने भी किया, जिससे नीतीश कुमार और उनके फैसले को और बड़ा झटका लगा।
भाजपा MLA के बेटे को कोटा से वापस लाने की विशेष अनुमति मिली
इसी बीच पटना उच्च न्यायालय में एक अपील के जवाब में बिहार सरकार ने पिछले सप्ताह एक हलफनामा दायर कर कहा था कि राज्य में मजदूरों और छात्रों को वापस लाना संभव नहीं था। लेकिन राज्य के लोगों का गुस्सा तब कई गुना बढ़ गया जब भाजपा के एक विधायक के बेटे को कोटा से वापस लाने की विशेष अनुमति मिल गई। इसके बाद तो कोटा में रह रहे बिहारी छात्र भी भूख हड़ताल पर चले गए, जिसने नीतीश पर हमले के लिए विपक्ष को पर्याप्त मात्रा में हथियार दे दिए।
HC ने सरकार से कोटा में फंसे छात्रों की हरसंभव मदद करने को कहा
गत मंगलवार को HC ने सरकार से कोटा में फंसे छात्रों की हरसंभव मदद करने का निर्देश दिया। इस पर जदयू के राजीव रंजन ने कहा कि उनकी प्राथमिकता लोगों के जीवन को बचाने की रही है और वर्तमान परिदृश्य में यह तभी है जब लोग जहां हैं वहीं रहें। यानी अभी नीतीश कुमार और उनके सिपहसलार सेल्फ गोल कर रहे हैं, जिसका खामियाजा बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में जदयू के साथ साथ बीजेपी का उठाना पड़ सकता है, क्योंकि लॉकडाउन में और एक महीने विस्तार की पूरी संभावना दिख रही है।