फैलेगा हमारा मौन...: कश्मीरी पंडितों के माइग्रेशन पर अनुपम खेर ने ट्वीट की कविता
आज पलायन के 27 साल पूरे होने पर अनुपम खेर ने कश्मीरी पंडितों के लिए कविता के माध्यम से उनका दर्द बांटने की कोशिश की है।
मुंबई। 19 जनवरी 1990, की वो काली रात जब कट्टरपंथियों ने 4 लाख कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से जान बचाकर भागने के लिए मजबूर कर दिया था, आज भी जब याद आती है, तो डर से लोग सिहर उठते हैं। फिल्म अभिनेता अनुपम खेर उस दर्द को जानते हैं कि क्योंकि पलायन की आग में उनके अपनों के भी घर जले हैं, इसलिए आज पलायन के 27 साल पूरे होने पर उन्होंने कविता के माध्यम से कश्मीरी पंडितों का दर्द बांटने की कोशिश की है।
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अनुपम ने अपने ट्विटर अकाउंट से... फैलेगा-फैलगा..हमारा मौन...समुद्र के पानी में नमक की तरह...नाम की कविता का वीडियो शेयर किया है, जिसे सुनने के बाद हर किसी की आंखें गम से भीग जाएगी।
27 साल पहले कश्मीर से पंडितों का विस्थापन शुरू हुआ था
आपको बता दें कि आज ही के दिन, ठीक 27 साल पहले, कश्मीर से पंडितों का विस्थापन शुरू हुआ था, किसी के सिर पर से उसकी छत छीन लेना, सिर्फ इसलिए कि वो पंडित है, इस बात को सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं। वो दर्द आज भी लोगों के दिलों में ताजा है।
कश्मीरी पंडितों ने अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए देश के दूसरे हिस्सों में शरण ली
कश्मीरी पंडितों ने अपनी जान और इज्जत बचाने के लिए देश के दूसरे हिस्सों में शरण ली लेकिन आज भी उन्हें पलायन का गम सताता है, अपनों की यादें उन्हें कचोटती हैं। मालूम हो कि वर्ष 1985 के बाद से कश्मीर पंडितों को कट्टरपंथियों और आतंकवादियों से लगातार धमकियां मिलने लगी थी और 19 जनवरी 1990 को कट्टरपंथियों ने 4 लाख कश्मीरी पंडितों को उनके घरों से भागने के लिए मजबूर कर दिया था।