धारा 370 खत्म करने वालों से कश्मीर को ज्यादा खतरा: उमर अब्दुल्ला
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस पर तीखा हमला बोला है। शनिवार को एक जनसभा के दौरान अब्दुल्ला ने कहा कि जो ताकतें जम्मू कश्मीर के विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करना चाहती हैं वह जम्मू कश्मीर के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर को पड़ोसी देश से उतना खतरा नहीं है जितना उन लोगों से है जो जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करना चाहते हैं।
सच्चाई को ये लोग पचा नहीं पा रहे
उमर ने कहा कि लोगों को सही फैसला लेना है, ऐसे ताकतों को उखाड़ फेंकना हैं। कोई भी जो सरकारी पद पर है, फिर वह राज्यपाल हो, मुख्यमंत्री या कोई और उसे जम्मू कश्मीर के संविधान की शपथ लेनी होगी। लेकिन जम्मू कश्मीर विरोधी ताकतें इस सच्चाई को पचा नहीं पा रही हैं। उन लोगों की आंखों में यह सच्चाई चुभती है, ये लोग इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।
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भारत में जम्मू कश्मीर का विलय नहीं हुआ
इन लोगों ने वचन में संशोधन किया है जिससे कि संविधान में जम्मू कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य के दर्जे को खत्म किया जा सके, इन लोगों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी यह बात कही है। लेकिन ये लोग यह समझने में विफल हो गए हैं कि डोगरा राजा हरि सिंह ने भारत में विलय नहीं किया था, उन्होंने सिर्फ तीन शर्तों पर भारत के सामने झुके थे। वहीं अन्य राज्यों की बात करें तो सभी राज्यों का भारत में विलय हुआ था, जम्मू कश्मीर ने विलय के दस्तावेज पर कभी हस्ताक्षर नहीं किया था।
ये लोग अनुच्छे 370, 35 ए खत्म करना चाहते हैं
अब्दुल्ला ने कहा कि हमारे नेतृत्व ने केंद्र सरकार के साथ काफी समय तक चर्चा की है, इस चर्चा का नतीजा यह है कि हमने दिल्ली के साथ समझौता किया। हमारे शेर ए कश्मीर के नेता भारत के भीतर विशेष राज्य का दर्जा लेने के साथ ही खुद के राज्य की रक्षा करने और इसके झंडे की रक्षा करने में पूरी तरह से सक्षम थे। लेकिन आज हम देखते हैं कि ये लोग इस विशेष दर्जे को खत्म करना चाहते हैं। ये लोग अनुच्छेद 370, 35 ए को खत्म करना चाहते हैं।
महबूबा जी ने भाजपा से हाथ मिलाया
अब्दुल्ला
ने
कहा
कि
कांग्रेस
उम्मीदवार
अगर
जीतता
है
तो
वह
पार्टी
के
निर्देश
का
पालन
करेगा,
राज्य
को
विशेष
राज्य
का
दर्जा
कांग्रेस
ने
ही
दिया
और
उसकी
जिम्मेदारी
है
इसे
बचाए
रखने
की
,लेकिन
पीडीपी
ने
सत्ता
की
लालच
में
भाजपा
के
साथ
हाथ
मिला
लिया।
महबूबा
जी
कैसे
हमारे
लिए
आवाज
उठा
सकती
हैंजब
वह
2008
में
ऐसा
नहीं
कर
सकी।
उस
वक्त
प्रदेश
में
अमरनाथ
भूमि
को
लेकर
संघर्ष
चल
रहा
था,
लेकिन
महबूबा
जी
ने
संसद
में
इसके
लिए
आवाज
नहीं
उठाई,
उस
वक्त
उन्होंने
कहा
था
कि
क्या
बोलूं
यार।
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