रिहा होने के बाद बोले उमर अब्दुल्ला- आर्टिकल 370 पर करुंगा बात, अभी Coronavirus पर सरकार के निर्देश मानूंगा
श्रीनगर। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला मंगलवार को नजरबंदी से रिहा हो गए। सात माह बाद उमर को आजादी मिली है। उन्होंने कहा है कहा कि सरकार को राज्य में मोबाइल इंटरनेट फिर से शुरू कर देना चाहिए ताकि लोगों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी मिल सके। उन्हें पता लग सके कि इस महामारी से बचने के लिए उन्हें क्या-क्या सावधानियां बरतनी हैं। उमर अब्दुल्ला जिन्होंने इस माह की शुरुआत में अपना 50वां बर्थडे मनाया है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि बाकी बंदियों को भी रिहा कर दिया जाए।
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कोरोना वायरस पहली प्राथमिकता
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर को मेडिकल चेकअप के बाद हरिनिवास गेस्ट हाउस से रिहा कर दिया गया। यहां से वह श्रीनगर की पॉश सोसायटी में स्थित अपने घर गए और अपने माता-पिता से मिले। उन्होंने कहा कि वह आर्टिकल 370 पर भी बोलेंगे मगर अभी उनकी पहली प्राथमिकता कोरोना वायरस महामारी है। उमर ने लोगों से अपील की है कि वे इस बीमारी में आने से खुद को बचाएं। उमर के मुताबिक देश और बाकी लोग एक जंग लड़ रहे हैं जो जिंदगी और मौत से जुड़ी है। उमर ने रिहा होते ही अपना ट्विटर अकाउंट अपडेट किया और अपनी रिलीज ऑर्डर की फोटो ट्वीट की। फोटो में वह अपनी गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर नजर आ रहे हैं।
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232 दिनों बाद मिली आजादी
उमर ने फिर एक ट्वीट किया और इस बार लिखा, '232 दिनों की हिरासत के बाद आज मैने आखिरकार हरि निवास छोड़ दिया है। आज दुनिया पांच अगस्त 2019 से बिल्कुल ही अलग है।'एक और ट्वीट उन्होंने किया और लिखा, 'मैंने अपनी मां और पिता के साथ करीब आठ माह बाद लंच किया है। मुझे याद भी नहीं है कि आखिरी बार मैने अच्छा खाना कब खाया था और न ही यह याद है कि मैंने क्या खाया था।'
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फरवरी में लगाया गया PSA
उमर को शुरुआत में सीआरपीसी के सेक्शन 107 के तहत हिरासत में रखा गया था। इस कानून के तहत किसी को भी शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए हिरासत में रखा जा सकता है। उनकी हिरासत की अवधि फरवरी 2020 में खत्म होने वाली थी। ठीक इससे पहले ही सरकार ने उन पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) लगा दिया। इस एक्ट के तहत किसी को भी दो साल तक बिना ट्रायल के कैद में रखा जा सकता है।
पिछले दिनों मिली पिता को रिहाई
13 मार्च को उमर के पिता और नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला को भी सरकार की तरफ से रिहा कर दिया गया था। सरकार ने जब उमर पर पीएसए लगाया था तो उनकी बहन सारा अब्दुल्ला पायलट सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। यहां पर उन्होंने भाई पर लग एक्ट को हटाने की अपील की थी। सारा ने कहा था कि भाई पर लगा कानून पूरी तरह से असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने पिछले हफ्ते सरकार से पूछा था कि वह उमर की हिरासत की वजह विस्तार से बताए।