15 साल की लड़की से प्रभावित हुईं इवांका ट्रंप ने किया ट्वीट तो उमर अब्दुल्ला ने दिया ये जवाब
नई दिल्ली। लॉकडाउन की वजह से देशभर में प्रवासी मजदूर अपने घर पहुंचने के लिए तमाम मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। महज 15 वर्ष की लड़की ज्योति अपने घायल पिता को साइकिल पर बैठाकर 1200 किलोमीटर का सफर कर रही है। ज्योति गुरुग्राम से बिहार तक का रास्ता तय कर चुकी है, करीब एक हफ्ते बात वह दरभंगा पहुंची। इस बहादुर बेटी की इस कोशिश को सोशल मीडिया पर लोग सलाम कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप भी इससे पहुत प्रभावित हुईं। इवांका ने ज्योति की तस्वीर को साझा करते हुए भावुक बात लिखी, जोकि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। लेकिन इवांका की प्रतिक्रिया पर अब जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और कार्ति चिदंबरम ने अपनी प्रतिक्रिया दी है।
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उमर
और
कार्ति
ने
दिया
जवाब
उमर
अब्दुल्ला
ने
इवांका
के
ट्वीट
के
जवाब
में
लिखा
कि
ज्योति
की
गरीबी
और
मजबूरी
को
गौरवान्वित
करने
वाली
बात
की
तरह
दिखाया
गया,
मानो
ऐसा
लग
रहा
है
कि
ज्योति
को
साइकिल
चलाकर
किसी
खुशी
की
अनुभूति
हो
रही
है।
सरकार
की
विफलता
की
वजह
से
उसे
यह
करने
के
लिए
मजबूर
होना
पड़ा,
जिसका
सरकार
को
ढिंढोरा
पीटना
चाहिए।
वहीं
कार्ति
चिदंबरम
ने
ट्वीट
करके
लिखा
कि
यह
किसी
प्रतिष्ठा
की
बात
नहीं
है,
यह
भाजपा
सरकार
जिसके
मुखिया
आपके
दोस्त
नरेंद्र
मोदी
हैं
के
रवैये
का
परिणाम
है।
ट्वीट
कर
जाहिर
की
अपनी
भावना
ज्योति
के
लिए
इवांका
का
ट्वीट
इवांका
ने
ज्योति
का
पापा
के
प्रति
इस
प्यार
देखकर
इवांका
भावनाओं
में
इसलिए
भी
सराबोर
हो
गई
हैं
ट्वीट
कर
लिखा
कि
'15
साल
की
ज्योति
कुमारी
ने
अपने
जख्मी
पिता
को
साईकल
से
सात
दिनों
में
1,200
किमी
दूरी
तय
करके
अपने
गांव
ले
गई।
यह
भारतीयों
की
सहनशीलता
और
उनके
अगाध
प्रेम
के
भावना
का
परिचायक
है।
15
साल
की
स्वाभिमानी
ज्योति
की
क्या
हैं
कहानी
कोरोना
के
कारण
देशव्यापी
लॉकडाउन
में
देश
के
राज्यों
में
कई
जगहों
पर
प्रवासी
मजदूर
फंस
गए।
ट्रेन
सहित
आवागमन
के
अन्य
साधनों
का
परिचालन
बंद
होने
के
कारण
हजारों
मजदूर
पैदल
ही
अपने-अपने
घरों
की
ओर
चल
पड़े।
चूंकि
ज्योति
के
पिता
मोहन
पासवान
कुछ
महीने
पहले
हादसे
में
जख्मी
हो
गए
थे,
इसलिए
वो
अपने
दम
पर
घर
पहुंचने
में
असमर्थ
थे।
15
साल
की
स्वाभिमानी
ज्योति
ने
पिता
मोहन
पासवान
के
घायल
होने
की
वजह
से
खुद
ही
इतनी
लंबी
दूरी
तक
साइकिल
चलाई।
वह
अभी
7वीं
क्लास
में
पढ़ती
है।
ज्योति
बोली-
सफर
के
दौरान
मुझे
डर
लगता
था
कि
कहीं
पीछे
से
कोई
गाड़ी
टक्कर
न
मार
दे।
हां,
रात
के
समय
हाईवे
पर
साइकिल
चलाते
हुए
डर
नहीं
लगा,
क्योंकि
सैकड़ों
प्रवासी
मजदूर
भी
सड़क
से
गुजर
रहे
थे।
मगर,
किसी
गाड़ी
से
टक्कर
होने
को
लेकर
चिंतित
थी।
ज्योति
के
पिता,
मोहन
पासवान,
गुड़गांव
में
एक
ऑटोरिक्शा
चालक
घायल
हो
गए
और
लॉकडाउन
ने
उन्हें
आय
के
किसी
भी
स्रोत
नहीं
था।
उसे
मालिक
को
ऑटोरिक्शा
वापस
करना
पड़ा।
अपने
घायल
पिता
को
लेकर
ज्योति
10
मई
को
एक
साइकिल
खरीदने
के
बाद
10
मई
को
गुड़गांव
से
अपनी
यात्रा
शुरू
की
और
16
मई
को
अपने
गांव
पहुंचे।