लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला की दो टूक, सदन के भीतर धार्मिक नारेबाजी की इजाजत नहीं
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नई दिल्ली। 17वीं लोकसभा के नवनिर्वाचित स्पीकर ओम बिड़ला ने साफ कर दिया है कि सदन में किसी भी तरह की धार्मिक नारेबाजी नहीं करने देंगे। दरअसल जिस तरह से लोकसभा में कुछ नए सांसदों के शपथ ग्रहण के दौरान नारेबाजी की गई, उसके बाद स्पीकर ओम बिड़ला ने यह फैसला लिया है कि वह सदन के भीतर किसी भी तरह की नारेबाजी की इजाजत नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सोनिया गांधी, असदुद्दीन ओवैसी और टीएमसी के सांसदों के खिलाफ नारेबाजी की गई उसके बाद प्रोटेम स्पीकर वीरेंद्र कुमार ने सही कार्रवाई की। उन्होंने नारों को सदन की कार्रवाई से हटाकर सही किया है।
सदन की गरिमा अहम
बता दें कि टीएमसी के कुछ सांसदों ने ट्रेजरी बेंच द्वारा की गई नारेबाजी के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी। ओम बिड़ला ने कहा कि मुझे नहीं लगता है कि संसद नारेबाजी की जगह है, या फिर लोग यहां पर तख्तियां लेकर आए, या वेल में आएं। यह सब करने के लिए सड़क है, जहां पर लोग जा सकते हैं। लोगों को जो भी कहना है कि, जो भी आरोप लगाने हैं, सरकार पर हमला बोलना है वह कर सकते हैं, इसके लिए वह गैलरी में जाकर ये सब कर सकते हैं।
कांग्रेस ने जताई आपत्ति
जब ओम बिड़ला से पूछा गया कि क्या वह इस तरह की हरकत सदन में भविष्य में रोक सकते हैं तो उन्होंने कहा कि अगर ऐसा भविष्य में होता है तो हम नियम के अनुसार कार्रवाई करेंगे। जय श्री राम, जय भारत वंदे मातरम, यह सब पुराने मुद्दे हैं। बहस के दौरान यह बिल्कुल अलग है। हर बार की स्थितियां अलग होती हैं, परिस्थिति के अनुसार ही चेयर पर बैठा व्यक्ति कार्रवाई करता है। बता दें कि सदन के भीतर नारेबाजी का जिक्र कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने संबोधन में किया था। उन्होंने कहा था कि मुझे नहीं लगता है कि मल्टी पार्टी लोकतंत्र में ऐसा होना चाहिए।
हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र
बिड़ला ने साफ किया है कि इस मसले पर मैं बिल्कुल साफ हूं कि संसद लोकतंत्र का मंदिर है, यह मंदिर हमेशा नियम के अनुसार चलता है। मैंने सभी दलों से अपील की है कि वह सदन की गरिमा को बनाए रखें। हम दुनिया की सबसे बड़ा लोकतंत्र हैं, लिहाजा लोग हमे देखते हैं। हमे अपनी संसदीय कार्रवाई को भी दुनिया के सामने एक बेहतर रुप में सामने रखना चाहिए।
लोगों के विश्वास को कायम रखना जिम्मेदारी
लोकसभा का स्पीकर चुने जाने पर ओम बिड़ला ने कहा कि सभी दलों ने मुझमे अपना भरोसा जताया है, लिहाजा यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं उनके विश्वास को कायम रखूं। हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है, सरकार को अधिक जिम्मेदार होने की जरूरत है क्योंकि उन्हें इतना बड़ा जनमत मिला है। सरकार को सभी सवालों के जवाब देने चाहिए। मैंने देखा है कि जब भी बहस की मांग की गई है सरकार ने उसे स्वीकार किया है।
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