ओम बिड़ला को खुद जो मौका नहीं मिला, स्पीकर बनने पर उसमें बना दिया रिकॉर्ड
नई दिल्ली- 17वीं लोकसभा में जब ओम बिड़ला को स्पीकर चुना गया था, तो प्रधानमंत्री ने उनकी शालीनता की जमकर तारीफ की थी। स्पीकर के रूप में उन्होंने पहले हफ्ते जिस तरह से अपनी जिम्मेदारियां निभाई हैं, उससे लगता है कि वे न सिर्फ व्यक्तित्व के धनी हैं, बल्कि अपनी संसदीय जिम्मेदारियां निभाने में भी पूरी तरह से दक्ष हैं। उन्होंने एक हफ्ते में ही जिस तरह से सदन को चलाया है, वह भारत के संसदीय इतिहास में मील का पत्थर साबित हो सकती हैं। दरअसल, पहले नए सांसदों को सदन में बोलने का मौका कम ही मिल पाता था। लेकिन, एक हफ्ते में ही ओम बिड़ला ने न केवल वो मान्यता तोड़ी है, बल्कि उसमें एक नया रिकॉर्ड बना डाला है।
पहले हफ्ते ही रिकॉर्ड नए सांसदों को मिला बोलने का मौका
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने 17वीं लोकसभा की कार्यवाही के पहले ही हफ्ते सदन में एक रिकॉर्ड बना दिया है। उन्होंने सदन का संचालन करते हुए नई लोकसभा में पहले हफ्ते ही पहली बार चुने गए 93 सांसदों को बोलने का मौका दिया है, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। उन्होंने लोकसभा के लिए पहली बार चुने गए इन सांसदों को जीरो आवर में सदन में अपनी बात रखने का मौका दिया है। इस बार 250 से ज्यादा सांसद पहली बार चुनकर लोकसभा में दाखिल हुए हैं। जाहिर है कि अगर एक हफ्ते में ही 93 नव निर्वाचित सांसद सदन में अपनी बात रखने में कामयाब हुए हैं, तो उम्मीद है कि इसी सत्र में अधिकतर नए सांसद जनप्रतिनिधि होने की अपनी प्राथमिक जिम्मेदारी निभा सकेंगे।
ओम बिड़ला को नहीं मिल सका था ये मौका
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला 2014 में ही पहली बार लोकसभा के सदस्य बने थे। लेकिन, खुद उन्हें 16वीं लोकसभा में एक साल तक सदन में बोलने का मौका नहीं मिल पाया था। अलबत्ता, राजस्थान विधानसभा में वो बतौर विधायक भी अपनी भूमिका निभा आए थे। शायद इसीलिए वे चाहते हैं कि पहली बार लोकसभा सांसद बने 250 से ज्यादा सदस्यों को उनकी तरह ज्यादा समय तक इस मौके से वंचित नहीं रहना पड़े। जानकारी के मुताबिक पहली बार के सांसदों को शून्य काल में जनहित के मुद्दे उठाने देने के लिए उन्होंने कई बार लंच तक की टाइमिंग बढ़ा दी है और उस दौरान खुद ही आसन संभालते रहे हैं। विपक्षी सांसदों को भी उनका ये अंदाज काफी पसंद आ रहा है। 57 साल के बिड़ला को 17वीं लोकसभा में निर्विरोध स्पीकर चुना गया है। वे राजस्थान की कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र से चुनकर सांसद बने हैं।
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पीएम मोदी ने ओम बिड़ला के बारे क्या कहा था?
जब ओम बिड़ला को सभी दलों के समर्थन से लोकसभा का स्पीकर निर्वाचित किया गया था, तो प्रधानमंत्री ने उनके व्यक्तित्व की खूब तारीफ की थी। लेकिन, साथ ही उन्होंने उनके स्वभाव को लेकर एक आशंका भी जताई थी। पीएम मोदी ने कहा था कि बिड़ला बहुत धीमे बोलते हैं और कहीं सांसद उनकी इस विनम्रता का बेजा इस्तेमाल न करने लग जाएं। लेकिन, उन्होंने अब तक सदन का जिस तरह से संचालन किया है, उसने शायद प्रधानमंत्री की आशंकाओं को भी खत्म कर दिया होगा।
शुद्ध हिंदी के लिए हुए फेमस, डांटने से भी नहीं रहते पीछे
नए स्पीकर का एक खास अंदाज ये भी सामने आया है कि वे पहले के स्पीकरों के अंग्रेजी के मुकाबले बेहिचक हिंदी शब्दों का धड़ल्ले से प्रयोग करते हैं। हालांकि, इसके लिए वे सदस्यों पर कोई दबाव नहीं डालते। कई बार ये भी देखा गया है कि जब सदन में बोलने का मौका देने के लिए सदस्य उन्हें शुक्रिया कहना चाहते हैं, तो वो उनसे आग्रह करते हैं कि उन्हें सीधे मुद्दे पर आना चाहिए। अगर उन्हें लगता है कि किसी सदस्य के व्यवहार से सदस्यों का ध्यान भटक रह है तो वो उसे आगाह करने से भी पीछे नहीं हटते। सदन की कार्रवाई के दौरान जब उन्हें एक बीजेपी सांसद का व्यवहार खटक रहा था, तो उन्होंने उन्हें चेतावनी देने से भी परहेज नहीं किया। यही नहीं सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी पीछे मुड़कर दूसरे सांसद से बात करने पर उन्होंने रोक दिया था। संसदीय मामलों के जानकार नए स्पीकर के इस अंदाज की काफी सराहना कर रहे हैं।
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