मंद मुस्कान वाले ओम बिड़ला पर क्यों फिदा हुई संघ-शाह-मोदी की तिकड़ी?
नई दिल्ली। बुधवार को राजस्थान के कोटा से बीजेपी के सांसद ओम बिड़ला निर्विरोध नए लोकसभा स्पीकर चुने गए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद लोकसभा स्पीकर पद के लिए बिड़ला के नाम का प्रस्ताव किया। बिड़ला को स्पीकर बनाए जाने का प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुआ, कांग्रेस, तृणमूल, द्रमुक और बीजद समेत कई दलों ने इसका समर्थन किया। इसके बाद पीएम मोदी खुद उन्हें चेयर तक लेकर आए।
पीएम मोदी ने की ओम बिड़ला की जमकर तारीफ
प्रधानमंत्री ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि मुझे डर है कि बिड़लाजी की नम्रता और विवेक का कोई दुरुपयोग न कर ले। कोटा-बूंदी से सांसद बिड़ला ने मंगलवार को नामांकन दाखिल किया था।एक दिन पहले जब उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए लोकसभा सचिवालय में अपनी दावेदारी वाला नोटिस सौंपा तो लोगों को विश्वास नहीं हुआ था, बिड़ला को ये जिम्मेदारी सौंपना मोदी सरकार का चौंकाने वाला फैसला बताया गया।
56 साल के ओम बिड़ला को स्पीकर बनाने के पीछे नई सोच व नई पीढ़ी को आगे करने का भी संकेत माना जा रहा है, चलिए जानते हैं वो तीन खास वजहों को, जिसके कारण ओम बिड़ला बने लोकसभा स्पीकर...
संघ, मोदी और शाह के करीब
बिड़ला को संघ का करीबी माना जाता है, मोदी और शाह से भी उनके करीबी संबंध हैं। गुजरात और बिहार के प्रभारी भूपेंद्र यादव और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के भी नजदीकी माने जाते हैं। 2014 की लोकसभा में ओम बिड़ला को कई समितियों में जगह मिली थी। उन्हें प्राक्कलन समिति, याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति और सलाहकार समिति का सदस्य बनाया गया था।
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वोट बैंक को खुश करने की कोशिश
लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला महाजन तबके से आते हैं। महाजन तबका बीजेपी का परंपरागत वोट बैंक रहा है, ऐसे में भाजपा ने अपने इस तबके को खुश करने की कोशिश की है, बताते चलें कि मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में मध्यप्रदेश की सुमित्रा महाजन लोकसभा स्पीकर थीं।
राजस्थान की सारी लोकसभा सीटों पर कब्जा
राजस्थान ने लगातार दूसरी बार भाजपा को लोकसभा चुनाव में 25 में से 25 सीटें दी हैं, इस बार ये बात और मायने रखती है क्योंकि लोकसभा चुनाव से 5 महीने पहले ही हुए राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भाजपा को अपनी सत्ता गंवानी पड़ी थी, ऐसे में 25 सीटों की जीत काफी मायने रखती है, जिसका पुरस्कार ओम बिड़ला को मिला है।
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