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52 साल की उम्र में टैक्सी चलाने को मजबूर ओलंपियन, सेना ने कर दिया था भगोड़ा घोषित, जानिए क्यों

By Mohit
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नई दिल्लीः 19 साल की उम्र में सेना में भर्ती हुए, 25 साल की उम्र में देश के लिए ब्रॉन्ज मेडल जीता और आज 52 साल की उम्र में टैक्सी चले रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ओलंपियन लाक्खा सिंह की। देश के लिए ओलंपिक में खेलने वाले लाक्खा सिंह आज खाने के लिए भी संघर्ष कर रहा है। आज वो टैक्सी चलाने को मजबूर हैं। सरकार तो पहले ही उन्हें नजरअंदाज कर चुकी थी, बाकि की उम्मीद उनके दोस्तों ने पूरी कर दी। आज उनकी जिंदगी खबर दौर से गुजर रही है।

Olympian Lakha Singh struggling to make ends meet

लक्खा ने पहली बार देश के लिए साल 1994 के हिरोशिमा एशियाड में 81 किलो कैटिगरी में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इसके बाद उन्होंने एक के बाद पांच मैडल जीते। उन्होंने 1994 में तेहरान में आयोजित एशियन बॉक्सिंग चैंपिनशिप सिल्वर मेडल जीता। वो यहीं नहीं रुके साल इसी चैंपियनशिप में उन्होंने दूसरा सिल्वर मेडल जीत लिया। उनका सितारा बुलंदी पर था।

ये वो दौर था, जब हर टूर्नामेंट में उनसे मैडल की उम्मीद की जाती थी। साल 1996 में लक्खा सिंह अटलांटा ओलिंपिक में भारत के लिए मेडल की उम्मीद जमा रहे थे। लेकिन एशियन में मेडल जीतने वाले लक्खा नहीं जीत सके। लक्खा 91 किलो कैटिगरी में 17वें नंबर पर रहे।

लेकिन उनका शानदार खेल उनके समर्पण और धोखे में धूमिल हो गया। साल 1996 ओलिंपिक के ठीक दो साल बाद वो एक अन्य बॉक्सर दीबेंद्र थापा के साथ वर्ल्ड मिलिटरी बॉक्सिंग चैंपियनशिप में हिस्सा लेने गए थे। दोनों टेक्सास एयरपोर्ट से बाहर निकले और गायब हो गए, सेना ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया।

उस घटना के बारे लाक्खा ने बताया कि 'यह बात सच है कि हम दोनों एयरपोर्ट से बाहर गए। क्योंकि थापा ने मुझसे कहा कि कुछ दोस्त उनसे मिलना चाहते हैं। हमें कार बैठकर ड्रिंक पिया। ये आखिरी बार था जब मैं थापा से मिला। जब मेरी आंख खुली तो मैंने अपने आपको एक बंद कमरे में पाया। इसी कमरे मैं करीब एक महीने तक कैद रहा। उसके बाद मुझे यहां से फेंक दिया गया। मेरे पास कुछ नहीं था। वीजा एक्सपायर हो चुका था।''

लक्खा सिंह ने आगे बताया, ''फिर मैंने वहां काम करना शुरू किया। गैस स्टेशन, रेस्त्रां और कंस्ट्रक्शन साइट पर काम किया। भारत आने के पैसे जुटाने में मुझे आठ साल लग गए। भारतीय दूतावास ने मेरी मदद की।''

साल 2006 में जब वो वापस देश लौटे तो वो खुश थे, लेकिन पता चला कि सेना ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया है। वो कहते हैं कि बिना किसी जांच के ये फैसला ले लिया गया।

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English summary
Olympian Lakha Singh struggling to make ends meet
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