उत्तराखंड के 3 गांव पर दावे के लिए नेपाल की ओली सरकार ने चीन के साथ रची बड़ी साजिश-रिपोर्ट
नई दिल्ली-नेपाल सरकार चीन के साथ मिलकर उत्तराखंड के तीन गांव के लोगों को अपनी निष्ठा बदलने के लिए लालच देने की कोशिशों में जुटी हुई है। नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली की इस साजिश में उन्हें चीन का साथ मिल रहा है और चीन इसके लिए हर मुमकिन मदद दे रहा है। जबसे उत्तराखंड के उन तीनों गांव के लोगों को ओली सरकार के कारनामों की भनक लगी है उन्होंने इस साजिश का पर्दाफाश करना शुरू कर दिया है। उन गांव वालों ने किसी भी सूरत में भारत के साथ गद्दारी नहीं करना तय किया है। असल में ओली सरकार ने भारत और नेपाल के लोगों के प्राचीन काल से चले आ रहे संबंधों को चीन के बहकावे में खरीदने की चाल चली थी, जो लगता है कि शुरू होने से पहले ही नाकाम होता नजर आ रहा है।
उत्तराखंड के 3 गांव पर दावे के लिए नेपाल की बड़ी साजिश
लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव को देखते हुए नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने भारत के खिलाफ बड़ी साजिश रची है। डेक्कन क्रोनिकल की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तराखंड के पिथौड़ागढ़ जिले के कालापानी इलाके के आसपास के तीन गांव के लोगों पर ओली सरकार इस बात के लिए डोरे डाल रही है कि वो नेपाल के साथ वफादारी दिखाएं और भारत से नाता तोड़ लें। ऐसा करके नेपाल भारतीय गांवों पर अपना दावा सही ठहराने में सफल होना चाहता है। माना जा रहा है कि नेपाल सरकार के इस मंसूबे के पीछे चीन के साथ उसकी मौजूदा साठगांठ है और जिसके बदले नेपाली सेना माउंट कैलाश इलाके में पीएलए को उसके मिलिट्री बेस के विस्तार में मदद कर रही है।
कुटी, नाभी और गुंजी गांव के लोगों पर डोरे डालने की चाल
भारतीय गांव के लोगों को वफादारी बदलने की एवज में नेपाल सरकार मोटे पैसे, जमीन और घर के अलावा नेपाली नागरिकता देने का वादा कर रही है और माना जा रहा है कि इसके लिए पूरी फंडिंग चीन करने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुताबिक बीते कुछ दिनों से नेपाली एजेंट इस काम के लिए पिथौड़ागढ़ जिले के कुटी, नाभी और गुंजी गांव के लोगों से लगातार संपर्क की कोशिश कर रहे हैं। ये तीनों गांव कालापानी इलाके से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर हैं। समुद्र तल से लगभग 10,000 फीट की ऊंचाई पर बसे इन तीनों गांव के लोगों का नेपाल के दारचुला के लोगों के साथ सदियों से 'रोटी-बेटी' का नाता रहा है। जानकारी के मुताबिक इन दिनों नेपाल से उनके पास इस ऑफर को लेकर लगातार फोन आ रहे हैं।
भारत के साथ वफादारी बदलने का सवाल नहीं-रिपोर्ट
रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों तक जो जानकारी पहुंच रही है उसके मुताबिक नेपाली एजेंट या तो खुद को उनका शुभ-चिंतक बताकर गांव वालों को फोन कर रहे हैं या फिर नेपाल में उनके रिश्तेदारों या दोस्तों से फोन करवा रहे हैं। क्योंकि, इस इलाके में दोनों पड़ोसी मुल्कों के लोग आपस में संपर्क में रहते हैं और ज्यादातर परिवारों का नेपाल में कोई ना को रिश्ता-नाता है। लेकिन, जब से कोरोना की वजह से पाबंदियां लगी हैं भारत-नेपाल सीमा बंद है, लेकिन दोनों देशों के लोग फोन पर एक-दूसरे के संपर्क में बने हुए हैं। शायद शुरू में उन 3 गांव वालों ने इन बातों को उतना तबज्जो नहीं दिया, लेकिन जब फोन आने का सिलसिला बढ़ता ही गया तो उनके कान खड़े होने शुरू हो गए। बीते शुक्रवार को उन्होंने आपस में एक बैठक भी की जिसमें केंद्र सरकार को लिखने पर विचार किया गया। उन्होनें तय किया कि भारत के साथ वफादारी बदलने का तो सवाल ही नहीं उठता।
ओली सरकार की नक्शे वाली साजिश का अगला हिस्सा
पिथौरागढ़ के तीनों गांव कुटी, नाभी और गुंजी में कुल मिलाकर 850 से ज्यादा की आबादी है। कोरोना से पहले तक दोनों ओर के लोग रोजाना एक-दूसरे की ओर आते-जाते थे। सच्चाई तो ये है कि नेपाल के कई नागरिकों की रोजी-रोटी तो अबतक भारत के भरोसे ही टिकी रही है। दरअसल, इस साल मई में नेपाल की ओली सरकार ने जबसे उत्तराखंड के कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने राजनीतिक नक्शे में दिखाने की कोशिश की है, तभी से इन बातों की आशंका जाहिर की जा रही थी। जबकि, भारत नेपाल के इस दावे को पूरी तरह खारिज कर चुका है। लेकिन, लगता है कि जब लद्दाख में चीन कमजोर पड़ रहा है तो उसने भारत के खिलाफ नेपाल की मिलीभगत से यह नया मोर्चा खोलने की कोशिश की है।
इलाके के नेपाली गांवों पर चीन कर रहा है नियंत्रण
सच तो यह है कि उत्तराखंड से लगे भारत, चीन और नेपाल की सीमाओं के त्रिकोण के पास स्थित अपने इलाके के गांवों के निवासियों को नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार ने अपने कूटनीतिक गुरु शी जिनपिंग की पीएलए की दया पर छोड़ रखा है। पीएलए उन नेपाली गांव के लोगों को लगातार खाने-पीने की चीजें और बाकी जरूरी सामान मुहैया करके उन्हें अपने प्रभाव में लेने की कोशिशों में जुटी हुई है। इस तरह से आज की तारीख में नेपाल के भीतर के कई क्षेत्रों को पीएलए धीरे-धीरे पूरी तरह से अपने नियंत्रण में ले रही है। (तस्वीरें फाइल और सांकेतिक)
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