राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह के बहिष्कार पर राष्ट्रपति ऑफिस ने जताई नाखुशी
नई दिल्ली। सभी विजेताओं को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों से ना दिए जाने पर भारी विरोध और 60 से ज्यादा विजेताओं के समारोह का बहिष्कार करने पर राष्ट्रपति ऑफिस नाखुश है क्योंकि राष्ट्रपति सचिवालय काफी पहले से ही इवेंट को लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के संपर्क में था। पहले से ही ये तय था कि राष्ट्रपति सिर्फ एक घंटा ही समारोह में बिताएंगे और वो सभी विजेताओं को अपने हाथों अवॉर्ड नहीं देंगे।
3 मई को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिए गए थे। राष्ट्रपति कोविंद ने 137 विजेताओं में से केवल 11 विजेताओं ही पुरस्कार दिए थे। इसके अलावा बाकी लोगों को सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी ने पुरस्कार दिए। इसी बात को लेकर 68 विजेताओं ने स्मृति ईरानी से अवॉर्ड लेने से इंकार करते हुए कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। विरोध कर रहे कलाकारों की मानें तो मंत्रालय की ओर से विजेता कलाकारों को भेजे निमंत्रण पत्र में लिखा गया था कि राष्ट्रपति अपने हाथों से यह सम्मान देंगे. लेकिन समारोह से ठीक पहले कह दिया गया कि सिर्फ 11 कलाकारों को ही राष्ट्रपति सम्मानित करेंगे।
आपको बता दें कि अभी तक राष्ट्रपति सभी विजेताओ को राष्ट्रीय पुरस्कार खुद ही देते रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ जब राष्ट्रपति ने सभी विजेताओं को खुद पुरस्कार नहीं दिए और इसको लेकर आधे से ज्यादा विजेताओं ने कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया और इसको लेकर कड़ी प्रतिक्रिया भी की। 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा 13 अप्रैल को की गई थी। पुरस्कार 3 मई को विज्ञान भवन में दिए गए।
फिल्म निर्माता मेघनाथ ने इस पर कहा कि अगर राष्ट्रपति के पास समय नहीं था, तो हमें पहले ही बता दिया होता, हम यहां ना आते और इससे हमारा भी वक्त बचता। मेघनाथ ने कहा कि राष्ट्रपति के हाथों राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने की 65 साल से चली आ रही परंपरा को तोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि फिल्म बनाने में सालों लगते हैं और राष्ट्रपति के पास हमारे लिए एक मिनट नहीं है। ऑस्कर विजेता साउंड डिजाइनर रेसुल पूकुट्टी ने ट्वीट कर कहा, अगर भारत सरकार हमारे सम्मान में अपना तीन घंटे का समय भी नहीं दे सकती तो उन्हें हमें राष्ट्रीय पुरस्कार देने की जहमत नहीं उठानी चाहिए।
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