पीले रंग के दुर्लभ कछुए को देख वन अधिकारी भी रह गए दंग, जानिए कहां मिला
नई दिल्ली- ओडिशा हमेशा से कछुओं के लिए चर्चित रहा है। हाल ही में वहां मछली पकड़ने वाले जाल में एक विशालकाय कछुआ मिला था। अब बालासोर जिले के एक गांव में एक दुर्लभ कछुआ मिला है, जिसका रंग पीला है। जीव-जन्तुओं के विशेषज्ञ भी ऐसे कछुए को देखकर दंग हैं और इसके बारे में अलग-अलग अनुमान लगा रहे हैं। क्योंकि, पीले रंग वाला कछुआ न तो उन्होंने कभी देखा है और न कभी उसके बारे में सुना ही है। कछुआ मिलने के बाद बालासोर के सुजानपुर गांव के लोगों ने फौरन वन विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी। उन्हें यकीन था कि फॉरेस्ट अधिकारी आकर उनकी जिज्ञासा जरूर शांत करेंगे कि ये कौन सी प्रजाति का कछुआ है और कहां पाया जाता है। लेकिन, जब फॉरेस्ट के बड़े अफसर भी खुद इसे देखकर चकित रह गए तो लोगों की जिज्ञासा और बढ़ गई।
पीले रंग के दुर्लभ कछुए को देख वाइल्ड लाइफ वार्डन भी रह गए दंग
ओडिशा के बालासोर जिले में रविवार को वहां के सोरो ब्लॉक के सुजानपुर गांव से इस कछुए को पकड़ा गया है। इस कछुए को स्थानीय लोगों ने बचाया और फौरन वन विभाग के अधिकारियों को दुर्लभ कछुआ मिलने की सूचना दी और इस कछुए को उनके हवाले कर दिया । इस अनोखे रेप्टाइल के बारे में वाइल्ड लाइफ वार्डन भानूमित्र आचार्य ने कहा कि यह बहुत ही अनोखा कछुआ मिला है और उन्होंने ऐसा कछुए पहले कभी भी नहीं देखा है। आचार्य ने कहा, 'बचाए गए कछुए का पूरा खोल और शरीर पीला है। यह एक दुर्लभ कछुआ है, मैंने ऐसा कभी भी नहीं देखा है। 'उधर ओडिशा में तैनात भारतीय वन सेवा के अधिकारी सुसांत नंदा भी इस कछुए की बरामदगी को लेकर हैरान हैं। हालांकि, उन्होंने एक जानकारी ये दी है कि कुछ साल पहले सिंध में कुछ स्थानीय लोगों ने इसी तरह का असामान्य कछुआ देखा था। उन्होंने संभावना जताई है कि शायद बालासोर में मिला कछुआ albino (रंगहीन/वर्णहीन) है।
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सिंध में कुछ साल पहले दिखने की बात
'आईएफएस नंदा ने ट्विटर पर इस अद्भुत और दुर्लभ पीले रंग के कछुए का एक वीडियो भी डाला है। ट्विटर पर उन्होंने इसके अल्बिनो (रंगहीन/वर्णहीन) होने की संभावना जताए हुए लिखा है, 'कल ओडिशा के बालासोर में एक दुर्लभ पीले रंग का कछुआ देखा गया और उसे पकड़ा गया। बहुत संभावना है कि यह एक अल्बिनो (रंगहीन/वर्णहीन) था। कुछ साल पहले एक ऐसा ही असामान्य सिंध के स्थानीय लोगों ने रिकॉर्ड किया था। इसको नजदीक से देखिए। इसकी गुलाबी आंखों को देखिए, अल्बिनिस्म के संकेत दिखाई पड़ते हैं।'
पिछले महीने मयूरभंज से मिला था दुर्लभ कछुआ
पिछले महीने ही ओडिशा के ही मयूरभंज जिले के डेउली डैम से मछुआरों ने दुर्लभ Trionychidae प्रजाति का कछुआ पकड़ा था। बाद में वन अधिकारियों ने इस विशालकाय कछुए को डेउली डैम में छोड़ दिया था। जिला वन अधिकारी स्वयं मल्लिक के अनुसार, 'ये कछुआ बांध में मछली पकड़ने के जाल में फंस गया था, लोगों की मदद से इसे जाल में से निकाला गया और बांध में छोड़ दिया गया।' इस प्रजाति के कछुए का खोल बहुत ही मुलायम होता है और यह अफ्रीका, एशिया और उत्तरी अमेरिका में पाया जाता है। इस प्रजाति के कछुए साफ पानी में रहने वाले सबसे विशाल कछुए होते हैं। वन विभाग के मुताबिक ये कछुए 30 किलो से भी ज्यादा वजनी होते हैं और 50 साल तक जिंदा रह सकते हैं।
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