ओडिशा: कोर्ट ने तीन बच्चों की मां होने के कारण पंचायत समिति की चेयरपर्सन को ठहराया अयोग्य
नई दिल्ली। ओडिशा के आदिवासी बहुल कंधमाल की जिला अदालत ने पंचायती राज निकाय की एक महिला प्रतिनिधि को अयोग्य घोषित कर दिया क्योंकि उसके दो से अधिक बच्चे थे। दरअसल, महिला ने पंचायत समिति अधिनियम का उल्लंघन किया था जिसमें पंचायती राज निकाय में किसी भी पद पर रहते हुए दो से अधिक बच्चे नहीं होने चाहिए।
जिला अदालत ने पंचायत समिति की चेयरपर्सन को अयोग्य करार दिया
जिला जज गौतम शर्मा ने ओडिशा पंचायत समिति एक्ट के तहत दरिंगबाड़ी पंचायत समिति की चेयरपर्सन सुब्रह्मणि प्रधान को अयोग्य करार दे दिया। उन्होंने महिला को 1994 में संशोधित एक्ट के उल्लंघन का दोषी पाया। सुब्रह्मणि उदयगिरी विधानसभा क्षेत्र से बीजेडी विधायक सलूगा प्रधान की पत्नी हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, तांजुगिया पंचायत समिति की सदस्य रूडा मल्लिक ने प्रधान के खिलाफ याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि उन्होंने अधिनियम के प्रावधानों से बचने के लिए बच्चों की संख्या छिपाई।
दो से अधिक बच्चे होने के कारण अयोग्य करार
प्रधान को 2017 में दरिंगबाड़ी पंचायत समिति का अध्यक्ष चुना गया था। मल्लिक के वकील सिद्धेश्वर दास ने कहा कि प्रधान ने अपने बच्चों की संख्या छिपाई ताकि वह पंचायती राज प्रतिनिधि के रूप में चुनी जा सकें। उन्होंने बताया कि 1996 में उनका एक बेटा था। वहीं, इसके पहले की उनकी दो बच्चियां हैं। जबकि प्रधान का कहना है वे इस मामले में ओडिशा हाईकोर्ट में जिला अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेंगी।
ओडिशा पंचायत समिति एक्ट के उल्लंघन का मामला
बता दें कि साल 1991 की जनगणना के बाद पंचायतों में दो-दो बच्चों के नियम की बात सामने आई थी, जिसमें राष्ट्रीय विकास परिषद ने 1992 में केरल के सीएम के. करुणाकरण की अध्यक्षता में जनसंख्या पर एक समिति की गठन किया था। करुणाकरण पैनल ने सिफारिश की थी कि इस कानून को अमल में लाया जा सकता है। करुणाकरण पैनल की इस सिफारिश से पहले 1992 में पंचायतों और नगर पालिकाओं के लिए मानदंड अपनाने वाला राजस्थान पहला राज्य बना था।