Obituary: CDS बिपिन रावत ने निभाई हर कसम, चाहे भारत मां के प्रति फर्ज हो या पत्नी को दिया वचन
बेंगलुरु, 09 दिसंबर। उत्तराखंड के बारे में कहा जाता है कि 'पहाड़ का पानी और जवानी दोनों देश के लिए ही है' और ये बात एक बार फिर से पूरी तरह से तब सत्यापित हो गई जिस वक्त भारत माता के वीर सपूत CDS बिपिन रावत ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अपना पूरा जीवन देश के नाम समर्पित करने वाले बिपिन रावत अपने अंतिम वक्त में भी अपने सैन्य साथियों के ही साथ थे। कहते हैं कि सेना की कामों की आहट एक कान से दूसरे कान को भी नहीं होती है इसलिए शायद बिपिन रावत भी बिना आहट दिए दुनिया के उस पार चले गए जहां से कोई कभी भी वापस नहीं आता है।
बिपिन रावत ने निभाई हर कसम
नियति के क्रूर खेल के आगे हर इंसान बेबस है लेकिन एक बात यहां गौर करने वाली है कि चाहे भारत मां की सेवा का प्रण हो या फिर जीवनसाथी के साथ 7 फेरों का वचन , बिपिन रावत ने अपना हर किरदार बखूबी निभाया। तभी तो उन्होंने दुनिया से विदाई अपनी धर्मपत्नी मधुलिका रावत के साथ ली। अक्सर किसी बड़े इवेंट या समारोह में मधुलिका रावत अपने पति के साथ ही नजर आती थीं और विधि का विधान देखिए मौत के सफर पर भी दोनों पति-पत्नी ने एक-दूसरे को अकेला नहीं छोड़ा और परलोक की यात्रा भी साथ-साथ करने चले गए।
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'ना तो विचलित हुईं ना ही वो रावत की कमजोरी बनीं'
मालूम हो कि सीडीएस रावत के साथ मधुलिका रावत की शादी साल 1987 में हुई थी। मधुलिका रावत शहडोल के एक रियासी खानदान से ताल्लुक रखती थीं, एक क्षत्राणीं का खून उनमें भी दौड़ा करता था। इसी वजह से इससे पहले जब भी सीडीस रावत ने मुश्किल ऑप्रेशनों को अंजाम दिया था तो वो ना तो विचलित हुईं ना ही वो रावत की कमजोरी बनीं बल्कि हमेशा उनके साथ ढाल बनकर खड़ी रहीं। उनको करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि दो बेटियों की मां मधुलिका ने शहीदों की विधवाओं और बच्चों के लिए काफी काम किया है।
आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन
वो आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन यानी Awwa की अध्यक्ष भी थीं और मौजूदा दौर में कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए काम कर रही थीं। सेना या जरूरी कामों को छोड़कर वो हर घड़ी सीडीएस रावत के ही साथ साए की तरह नजर आती थीं और इसे आप प्रेम नाम दीजिए या समर्पण उन्होंने भी भारत मां की बेटी और एक पत्नी का रोल बखूबी निभाकर दुनिया से विदाई ली है।
क्या आप अपनी बेटी की शादी उससे करेंगे?
आंखों में आंसू भरकर मधुलिका रावत के भाई यशवर्धन सिंह ने बताया कि बात साल 1987 की है, जब बिपिन रावत ग्रुप कैप्टन थे और उनके पिताजी भी सेना में ही अधिकारी थी, उन्होंने मेरे पिताजी को चिठ्ठी लिखी थी। जिसमें उन्होंने कहा था कि 'मेरा बेटा सेना में कप्तान है क्या आप अपनी बेटी की शादी उससे करेंगे?' इस पर मेरे पिताजी ने कहा था कि 'मना करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता है और इसके बाद ही मेरी बहन की शादी उनसे हो गई।'
आज कुदरत ने हमारा सबकुछ छीन लिया
यशवर्धन सिंह ने कहा कि 'हम जब भी बिपिन रावत से मिलते थे तो हमें कभी महसूस ही नहीं होता था कि हम किसी नामी-गिरामी हस्ती से मिल रहे हैं, वो बेहद ही सरल, सौम्य और विनोदप्रिय थे। वो सच्चे फौजी थे और उनके दिल में हमेशा भारत मां के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रहती थी। आज कुदरत ने हमारा सबकुछ छीन लिया।'
घाव भी शायद भर जाएंगे लेकिन निशान जरूर छोड़ जाएंगे...
एक ऐसी शख्सियत जिन्होंने अपने कर्मों से पूरे भारत का दिल जीता, कहा जाता है कि वक्त किसी के लिए नहीं रूकता, लोग कुछ वक्त बाद चीजों को भूल जाते हैं, दौर बदल जाएगा, चेहरे बदल जाएंगे , घाव भी शायद भर जाएंगे लेकिन निशान जरूर छोड़ जाएंगे। इसलिए सलाम देश के इस वीर को, सलाम उनकी वीरता को, उनके अनुकरणीय योगदान और प्रतिबद्धता का ये देश हमेशा कर्जदार रहेगा।
अलविदा
#Bipinrawat
अश्रुपूर्ण
श्रंद्धाजलि
जय हिंद।