मोदी सरकार का एक फैसला और NSA अजित डोवाल हुए ताकतवर
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तय किया है कि वह साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल के बाद स्ट्रैटेजिक पॉलिसी ग्रुप में बदलाव लाएंगे जो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोवाल की मदद के लिए बनाया गया था। सरकार के इस कदम के साथ ही एनएसए अजित डोवाल पिछले दो दशकों में भारत के सबसे ताकतवर ब्यूरोक्रेट हो जाएंगे। एनएसए का पद पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के कार्यकाल में सन् 1998 में बनाया गया था।
क्या है पॉलिसी ग्रुप की अहमियत
स्ट्रैटेजिक पॉलिसी ग्रुप मंत्रियों के बीच में सामंजस्य के लिए अहम ग्रुप होगा और साथ ही नेशनल सिक्योरिटी पॉलिसी के लिए जरूरी इनपुट्स को इकट्ठा करने की दिशा में काम करेगा। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। पहले इस ग्रुप का मुखिया कैबिनेट सेक्रेटरी हुआ करता था। अब सरकार के फैसले के बाद एनएसए डोवाल इस ग्रुप के मुखिया हैं।
कौन-कौन होगा ग्रुप का हिस्सा
एनएसए के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष, कैबिनेट सचिव, तीनों सेनाओं के मुखिया, रिजर्व बैंक के गर्वनर, विदेश सचिव, गृह सचिव, वित्त सचिव और रक्षा सचिव भी इस ग्रुप के सदस्य होंगे। इनके अलावा रक्षा उत्पादन और आपूर्ति विभाग के सचिव और रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार भी पैनल का हिस्सा होंगे। साथ ही रेवेन्यू, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और इंटेलीजेंस ब्यूरो के अधिकारी भी इसमें शामिल होंगे।
कैसे काम करेगा ग्रुप
दूसरे मंत्री और विभागों को भी ग्रुप की मीटिंग्स में शामिल किया जाएगा। एनएसए अजित डोवाल इस ग्रुप की मीटिंग्स को बुलाएंगे और कैबिनेट सचिव मीटिंग को मंत्रियों और राज्यों के साथ मिलकर फैसलों को लागू करने के लिए को-ऑर्डिनेट करेंगे। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो यह नई बात नहीं है बल्कि यूएपीए सरकार के समय में भी था। इस ग्रुप का प्रस्ताव कारगिल यूद्ध के दौरान बनाई गई कमेटी की ओर से दिया गया था। पॉलिसी ग्रुप की बहाली चुनावों से पहले हो रही है और इसे लेकर तमातम तरह के सवाल भी उठ रहे हैं।