NSA के लिए पीएम मोदी ने फिर से जताया अजित डोवाल पर भरोसा, मिलेगा कैबिनेट मंत्री का दर्जा
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानी NSA के लिए एक बार फिर से अजित डोवाल पर भरोसा किया है। सिर्फ इतना ही नहीं राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में डोवाल के योगदान को देखते हुए इस बार सरकार ने उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा देने का फैसला किया है। डोवाल का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। 74 वर्षीय डोवाल को इंटेलीजेंस और कोवर्ट ऑपरेशंस की दुनिया में लीजेंड करार दिया जाता है। जिस तरह से अपने इंटेलीजेंस ऑपरेशंस को अंजाम देते थे, उसकी वजह से उन्हें कुछ लोगों ने भारत का जेम्स बांड तक करार देना शुरू कर दिया।
उरी सर्जिकल स्ट्राइक में अहम रोल
सितंबर 2016 में जब उरी में आर्मी कैंप पर आतंकी हमला हुआ तो सेना ने एलओसी पार पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की। 28-29 सितंबर को जब सेना के कमांडोज जब अपने मिशन को अंजाम दे रहे थे तो तत्कालीन आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग के अलावा डोवाल इस पूरे ऑपरेशन पर बारीकी से नजर रख रहे थे। सर्जिकल स्ट्राइक को भारत की नीति में एक बड़ा बदलाव करार दिया गया था। साल 2014 में जब मोदी सरकार का पहला कार्यकाल शुरू हुआ तो पीएम मोदी ने डोवाल को एनएसए के तौर पर चुना। डोवाल साल नौ वर्ष बाद अपनी ड्यूटी पर वापस लौटे थे। विशेषज्ञ मानते हैं कि डोवाल इंटेलीजेंस और कोवर्ट ऑपरेशंस के लीजेंड हैं। डोवाल भारत के पांचवें एनएसएस बने। डोवाल 1965 के केरल कैडर के आईपीएस ऑफिसर रहे हैं।
म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक के मास्टरमाइंड
सितंबर 2016 से भारत की सेना ने जून 2015 में म्यांमार में एक सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। म्यांमार में सर्जिकल स्ट्राइक के बाद डोवाल का नाम एक बार फिर से सुर्खियों में आया था। वर्ष 1999 में जब पहली बार बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की सरकार ने केंद्र में जिम्मेदारी संभाली तो सरकार को कंधार हाइजैक प्रकरण का सामना करना पड़ा। इसे सुलझाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बतौर एनएसए डोवाल पर अपना भरोसा जताया। डोवाल वाजपेयी के काफी भरोसेमंद माने जाते थे, अब प्रधानमंत्री मोदी के लिए भी काफी खास हो गए हैं। 20 जनवरी 1945 को अजित डोवाल का जन्म हुआ और उनके पिता मेजर जीएन डोवाल को सेना का एक बेस्ट ऑफिसर माना जाता था। डोवाल ने अजमेर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की और आगरा यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की डिग्री ली।
यूपीए ने दिया रिटायरमेंट
डोवाल वर्ष 2005 में इंटलीजेंस ब्यूरों के चीफ थे। लेकिन यूपीए ने उन्हें बतौर इंटेलीजेंस ब्यूरों के निदेशक पद से रिटायर कर दिया गया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली स्थित विवेकानंद इंटरनेशल फाउंडेशन यानी वीआईएफ के प्रमुख के तौर पर अपनी जिम्मेदारी संभाली। डोवाल ने वर्ष 1968 में नॉर्थ ईस्ट में मौजूद आतंकी ताकतों को हराने के लिए छह लालदेंगा अलगाववादी संगठनों को तैयार किया था। 80 के दशक में जिस समय देश के नॉर्थ-ईस्ट में स्थित खूबसूरत राज्य मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट केंद्र सरकार की नीतियों से खफा होकर देश के खिलाफ कई तरह की गतिविधियों में शामिल हो गया। इसके कई सदस्य अंडरग्राउंड होकर राज्य में अशांति फैलाने लगे। डोवाल ने एक रणनीति अपनाई और टॉप कमांडर्स को अलग कर दिया। 20 वर्षों से राज्य में जो अशांति का माहौल जारी था वह डोवाल की एक पहल पर खत्म हो सका।
वाजपेयी ने शुरू किया था एनएसए का ट्रेंड
भारत में अब तक पांच एनएसए हो चुके हैं। देश में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर या एनएसए, पद की शुरुआत नवंबर 1998 में हुई जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने उस समय ब्रजेश मिश्रा को अपना एनएसए नियुक्त किया था। मिश्रा 22 मई 2004 तक देश के एनएसए रहे। इसके बाद 23 मई 2004 को जेएन दीक्षित को यूपीए की सरकार में एनएसए नियुक्त किया गया जो जनवरी 2005 तक इस पद पर रहे। उनके बाद जनवरी 2005 में एमके नारायणन को एनएसए नियुक्त किया और वह 23 जनवरी 2010 को रिटायर हो गए। नारायणन के बाद 24 जनवरी 2010 को शिवशंकर मेनन को एनएसए बनाया गया और वह 28 मई 2014 तक एनएसए के पद पर रहे। 30 मई 2014 को डोवाल ने यह पद संभाला था।