NRC Row: असम के बाद पश्चिम बंगाल की बारी- कैलाश विजयवर्गीय
नई दिल्ली। असम में जिस तरह से भाजपा सरकार ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजेन यानि एनआरसी को अंतिम रूप देने के बाद जारी किया और 40 लाख लोगों को अवैध नागरिक बताया गया है उसके बाद लगातार इस मुद्दे पर सियासत हो रही है। एक के बाद एक तमाम विपक्षी दल भाजपा सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। खुद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी एनआरसी पर सवाल खड़ा किया था। लेकिन इन सब के बीच भाजपा नेता ने कहा है कि असम के बाद अब पश्चिम बंगाल की बारी है।
बंगाल में अवैध बांग्लादेशियों की संख्या 1 करोड़ से अधिक
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि पश्चिम बंगाल का युवा चाहता है कि यहां बांग्लादेश से आए अवैध नागरिकों की पहचान की जाए, क्योंकि इनकी वजह से उन्हें बेरोजगारी, कानून व्यवस्था जैसी तमाम मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। पश्चिम बंगाल के लोगों की इस मांग का भाजपा समर्थन करती है। इससे पहले भाजपा ने कहा था कि पश्चिम बंगाल में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान होनी चाहिए, इनकी संख्या करोड़ों में हो सकती है।
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लोकसभा में दिया स्थगन प्रस्ताव
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अगर असम में एनआरसी के फाइनल ड्राफ्ट में 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं ततो पश्चिम बंगाल में यह संख्या करोड़ों में हो सकती है। असम में सुप्रीम कोर्ट ने इसकी निगरानी की थी, इसी तरह पश्चिम बंगाल में इसे किया जा सकता है। वहीं इन सब के बीच टीएमसी ने असम में एनआरसी के खिलाफ संसद में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। पार्टी के सांसद सौगत राय ने लोकसभा में इस मामले को लेकर स्थगन प्रस्ताव दिया है।
2019 में जीतेंगे 21 सीटें
लोकसभा में शून्य काल के दौरान इस मुद्दे को उठाते हुए टीएमसे नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि इस मामले पर तत्काल सदन में चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि यह मुद्दा 40 लाख लोगों से जुड़ा हुआ है। जिस तरह से भाजपा पश्चिम बंगाल में असम की तर्ज पर अवैध नागरिकों की पहचान की प्रक्रिया शुरू करना चाहती है उसपर दोनों दलों के बीच टकराव देखने को मिल सकता है। भाजपा पश्चिम बंगाल में इस मुद्दे के दम पर अपनी सियासी ताकत बढ़ाने में जुटी है। एक इंटरव्यू में खुद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि हम आगामी 2019 के चुनाव में 42 में से 21 सीटें जीतेंगे।
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