NRC Draft: क्या होगा उन 40 लाख लोगों का जिनका नहीं है नाम, क्या मिलेगा अवैध नागरिक का दर्जा, जानें
असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) का एक और ड्राफ्ट रिलीज कर दिया गया। इस नए ड्राफ्ट में राज्य के 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। असम की जनसंख्या तीन करोड़ 29 लाख है और इस ड्राफ्ट के मुताबिक दो करोड़ 89 लाख लोग भारतीय नागरिक हैं।
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गुवाहाटी। असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) का एक और ड्राफ्ट रिलीज कर दिया गया। इस नए ड्राफ्ट में राज्य के 40 लाख लोगों के नाम नहीं हैं। असम की जनसंख्या तीन करोड़ 29 लाख है और इस ड्राफ्ट के मुताबिक दो करोड़ 89 लाख लोग भारतीय नागरिक हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह की मानें तो जिन लोगों के नाम इस फाइनल ड्राफ्ट से बाहर हैं उन्हें घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि 28 अगस्त तक उनके पास अपनी आपत्तियां दर्ज कराने का मौका होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस ड्राफ्ट को तैयार करने के पीछे केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है और इस पूरी प्रक्रिया को सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरा किया गया है। ड्राफ्ट के आने के बाद सबके मन में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर उन 40 लाख लोगों को क्या होगा जिनका नाम 30 जुलाई को आई लिस्ट में नहीं है। ये भी पढ़ें- NRC Assam: गृहमंत्री ने कहा ड्राफ्ट से घबराने की जरूरत नहीं
लिस्ट को अपडेट करने की मांग
असम में आया एनआरसी ड्राफ्ट राज्य में रहने वाले नागरिकों को मिले कानूनी दर्जे से संबधित है। पहला एनआरसी ड्राफ्ट साल 1951 में तैयार हुआ था और उस समय ही जनगणना का काम पूरा हुआ था। इस ड्राफ्ट में दरअसल नागरिकों के नाम के साथ राज्य के हर गांव में रहने वाले लोगों की संख्या, उनके साथ रह रहे लोगों के नाम, गांवों में कितने घर या फिर कितनी संपत्ति है इसका ब्यौरा दर्ज हुआ। उस वर्ष सरकार ने निर्देश दिए थे कि इन रिकॉर्ड्स को डिप्टी कमिश्नर और सब-डिविजन ऑफिसर्स के पास संग्रहीत किया जाए। इसके बाद 1960 में एनआरसी डाटा को पुलिस को सौंप दिया गया और फिर 1980 से असम में इस लिस्ट को अपडेट करने की मांग उठने लगी।
क्या है सुप्रीम कोर्ट का रोल
कई तरह के कानूनी पचड़ों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर 2014 को फैसला दिया कि एक तय समय के अंदर एनआरसी को पब्लिश किया जाए और इसे अपडेट किया जाए। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि वह पूरी प्रक्रिया पर नजर रखेगा। अब यही प्रक्रिया पूरी होने की कगार पर है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आने वाली दूसरी लिस्ट को जारी करने की तारीख पहले 30 जून तय की थी लेकिन इसे बढ़ा दिया गया क्योंकि उस समय राज्य बाढ़ के हालातों से गुजर रहा था। ऐसे में इस ड्राफ्ट को पूरा कर पाना संभव नहीं हो सका।
क्या होगा 40 लाख लोगों का
एनआरसी का पहला ड्राफ्ट इस वर्ष जनवरी की शुरुआत में रिलीज किया गया था। उस समय सिर्फ 1.9 करोड़ लोगों को ही कानूनी नागरिक का दर्जा मिल सका था। अब नए ड्राफ्ट में 40 लाख लोग ऐसे हैं जिनका नाम ही नहीं है। ऐसे में इस बात का खतरा बढ़ गया है कि जिनके नाम इस लिस्ट में नहीं हैं उन्हें अवैध प्रवासी का दर्जा मिल सकता है। अभी तक न तो राज्य सरकार और न ही केंद्र सरकार के पास ऐसा कोई कंक्रीट प्लान है जिसके तहत इस बात की जानकारी मिल सके कि सरकार उन लोगों को क्या करेगी जिनके पास भारत की नागरिकता नहीं है। एनआरसी के जिस ड्राफ्ट को अपडेट किया गया है उसका राज्य की बीजेपी सरकार की ओर से प्रस्तावित सिटीजनशिप एमेंडमेंट 2016 बिल के साथ टकराव है। इस नए बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसे हिंदुओं को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है।
क्या कहना है सरकार का
जिनके नाम एनआरसी के इस नए ड्राफ्ट में नहीं है, उन्हें एक और चांस दिया जाएगा कि वह एनआरसी अथॉरिटीज में अपील कर सकें। लेकिन जिनके नाम फाइनल एनआरसी में नहीं होंगे, उन्हें भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा। ऐसे में उन्हें फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल्स में खुद को भारतीय साबित करने के लिए लड़ाई लड़नी पड़ेगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ऐसे तमाम लोगों को भरोसा दिलाया है कि जिनके नाम फाइनल एनआरसी में नहीं होंगे उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई नहीं की जाएगी और वह ट्रिग्यूनल में अपील कर सकते होंगे। वहीं राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा है कि ड्राफ्ट में नाम न होने पर किसी को भी विदेशी नहीं समझा जाएगा।
कैसे मिलती है असम में भारत की नागरिकता
असम में ऐसे लोग भारत की नागरिकता के योग्य हैं जिनका नाम 1951 के एनआरसी ड्राफ्ट में और सरल 1971 की निर्वाचन लिस्ट में है। अगर निर्वाचन लिस्ट में नाम नहीं हैं तो फिर वह 24 मार्च 1971 तक के दूसरे डॉक्यूमेंट जैसे जमीन के कागजात, नागरिकता का सर्टिफिकेट, स्थानीय आवासीय पता और पासपोर्ट जमा कर सकते हैं। ऐसे लोग जिनका जन्म 1971 के बाद हुआ है वह ऐसे डॉक्यूमेंट जैसे बर्थ सर्टिफिकेट को दिखा सकते हैं जिससे कानूनी तौर पर नागरिक घोषित लोगों के साथ उनका संबंध सत्यापित हो सके।