भारत में बसे गैर-कानूनी बांग्लादेशी नागरिक क्यों हैं खतरे की घंटी?
सोमवार को जब से असम में दूसरा नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस यानी एनआरसी ड्राफ्ट रिलीज किया गया है, तब से ही पूरे देश में हलचल मची हुई है। इस ड्राफ्ट में असम के 40 लाख लोग ऐसे हैं जिनका नाम दूसरी लिस्ट में नहीं है।
नई
दिल्ली।
सोमवार
को
जब
से
असम
में
दूसरा
नेशनल
रजिस्टर
ऑफ
सिटीजंस
यानी
एनआरसी
ड्राफ्ट
रिलीज
किया
गया
है,
तब
से
ही
पूरे
देश
में
हलचल
मची
हुई
है।
इस
ड्राफ्ट
में
असम
के
40
लाख
लोग
ऐसे
हैं
जिनका
नाम
दूसरी
लिस्ट
में
नहीं
है।
अब
दिसंबर
में
एक
और
लिस्ट
आनी
है
और
जिनका
नाम
उस
लिस्ट
में
नहीं
होगा,
उन्हें
गैर-कानूनी
नागरिक
माना
जाएगा।
एनआरसी
पर
सारा
मसला
दरअसल
बांग्लादेश
से
भारत
में
आकर
बसे
अप्रवासियों
का
है।
साल
2016
में
सरकार
ने
संसद
में
जानकारी
दी
थी
कि
देश
में
करीब
दो
करोड़
बांग्लादेशी
नागरिक
ऐसे
हैं
जो
गैर-कानूनी
तरीके
से
देश
में
रह
रहे
हैं।
यह
पहली
बार
नहीं
है
जब
बांग्लादेश
से
आकर
गैर-कानूनी
तरीके
से
देश
में
रह
रहे
अप्रवासियों
को
लेकर
इतना
हंगामा
हुआ
है।
ये
भी
पढ़ें-क्यों
असम
में
पड़ी
NRC
की
जरूरत
और
कौन
है
ड्राफ्ट
में
शामिल
होने
के
योग्य
इस समय दो करोड़ है संख्या
साल 2004 में यूपीए की तत्तकालीन सरकार में गृहमंत्री रहे श्रीप्रकाश जायसवाल ने सदन में जानकारी दी थी कि करीब 17 राज्यों में 12 मिलियन लोग ऐसे हैं जो गैर-कानूनी तरीके से रह रहे हैं। उन्होंने तब बताया था कि असम में करीब 50 लाख और पश्चिम बंगाल में 57 लाख बांग्लादेश अप्रवासी नागरिक गैर-कानूनी तरीके से रहे रहे हैं। जायसवाल के बयान पर काफी हंगामा हुआ और फिर उन्हें अपना बयान वापस लेना पड़ गया। इसके बाद साल 2016 में केंद्र में एनडीए की सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि जो जानकारी अभी मौजूद है उसके तहत करीब 20 मिलियन लोग यानी दो करोड़ लोग गैर-कानूनी तरीके से भारत में रह रहे हैं।
आईबी की रिपोर्ट में था अलर्ट
साल 2012 में इंटेलीजेंस ब्यूरों (आईबी) की ओर से जानकारी दी गई थी देश में बांग्लादेश नागरिकों का मसला तेजी से बढ़ता जा रहा है आईबी का कहना था कि पश्चिम बंगाल, केरल, तेलंगाना और कर्नाटक में गैर-कानूनी बांग्लादेशी नागरिक तेजी से बस रहे हैं। आईबी की रिपोर्ट में कहा गया था कि जो लोग इन राज्यों में रह रहे हैं उनमें से कुछ रोजगार के सिलसिले में यहां हैं। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गैर-कानूनी गतिविधियों जैसे ड्रग्स स्मगलिंग और कभी-कभी हथियारों की सप्लाई तक में शामिल हैं। आईबी की मानें तो ये लोग पश्चिम बंगाल के रास्ते देश में दाखिल होते हैं और फिर धीरे-धीरे देश के दूसरे हिस्सों में बस रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया था कि एजेंट्स के जरिए इन्हें सभी जरूरी डॉक्यूमेंट्स हासिल हो जाते हैं और फिर वे पैसा लेकर कई तरह की गतिविधियों को अंजाम देते हैं।
सरकारें रहीं हैं लापरवाह
पिछले कुछ वर्षों में राजनीतिक पार्टियों ने असम में बसे बांग्लादेशी नागरिकों के मुद्दे पर बहुत ही लापरवाही भरा रवैया दिखाया है। लेकिन अब यह समस्या विकराल रूप लेती जा रही है। अक्टूबर 2014 में पश्चिम बंगाल के बर्दवान जिले में हुए ब्लास्ट के बाद इस बात का खुलासा हुआ था कि कैसे हरकत-उल-जिहाद इस्लामी ने भारत में अपनी गतिविधियों को संचालित करना शुरू कर दिया है। इस संगठन को गैर-कानूनी तरीके से रह रहे अप्रवासी नागरिकों ने बड़े स्तर पर मदद की थी। रिसर्च एंड एनालिसिसि विंग (रॉ) के पूर्व ऑफिसर अमर भूषण की मानें तो यह काफी खतरनाक मुद्दा है। उन्होंने कहा कि 1990 की शुरुआत में रॉ ने बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी की गतिविधियों के खिलाफ ऑपरेशनल चलाया था। भारत इस बात को लेकर काफी चिंतित था कि जमात-ए-इस्लामी आईएसआई के इशारों पर देश में आतंकी गतिविधियां चला रहा था और इसी वजह से रॉ ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया।